नई दिल्ली [इरा झा]। नक्सलियों पर निर्णायक कार्रवाई को लेकर सरकार इस बार गंभीर नजर आ रही है, मगर उसकी तैयारी अब भी अधूरी ही दिखाई पड़ रही है। केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम के लगातार आ रहे बयानों से ऐसा लगता है कि अब कभी भी नक्सल पीड़ित सात राज्यों में उनके खिलाफ कोई बड़ी कार्रवाई हो सकती है। इस बीच ऐसे विज्ञापनों के दौर भी चल रहे हैं, जिनसे...
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नरेगा- पहले संशोधन फिर स्पष्टीकरण
न संसद में चर्चा हुई,न रोजगार गारंटी परिषद में बात और न ही सरकार ने किसी मंच पर इसका जिक्र किया, एकदम गुपचुप दलितों के हाथ से नरेगा के लाभ छीन लिए गए। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) में २२ जुलाई को दलित विरोधी संशोधन किया । संशोधन के विरोध में राष्ट्रव्यापी प्रतिक्रिया हुई है तो अब केंद्र सरकार की तरफ से एक स्पष्टीकरण जारी किया...
More »नरेगा- पहले संशोधन फिर स्पष्टीकरण...
न संसद में चर्चा हुई,न रोजगार गारंटी परिषद में बात और न ही सरकार ने किसी मंच पर इसका जिक्र किया, एकदम गुपचुप दलितों के हाथ से नरेगा के लाभ छीन लिए गए। केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) में २२ जुलाई को दलित विरोधी संशोधन किया । संशोधन के विरोध में राष्ट्रव्यापी प्रतिक्रिया हुई है तो अब केंद्र सरकार की तरफ से एक स्पष्टीकरण जारी किया...
More »एक चिठ्ठी बस्तर की व्यथा की......
छत्तीसगढ़ के तृणमूल स्तर के कई कार्यकर्ताओ ने देश के जनपक्षी धड़ों के लिए एक टिप्पणी जारी की है। इस टिप्पणी में छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों और आदिवासियों के बीच जारी संघर्ष को विराम देने की अपील की गई है।छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा से संबद्ध सुधा भारद्वाज का तर्क है कि विद्रोह को दबाने के नाम पर छत्तीसगढ़ में नरसंहार की आशंका बलवती हो गई है और इसे रोकने के लिए...
More »पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट
खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...
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