गुजरात के पाटीदार या पटेल समुदाय के आरक्षण आंदोलन ने देश को एक बार फिर पच्चीस वर्ष पीछे धकेल दिया। 1990 के दशक में मंडल आयोग की सिफारिशें लागू हुईं और देश में आरक्षण 22.5 फीसदी से बढ़कर 49.5 फीसद हो गया, क्योंकि अनुसूचित जाति/जनजाति के अलावा अन्य पिछड़े वर्ग के लिए भी 27 फीसदी आरक्षण का कानून बन गया। देश-समाज जल उठा और जातीय आधार पर एक गहरी विभाजन...
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खेती की सुध कब लेगी सरकार- एम के वेणु
उत्तर और पश्चिमी भारत के किसानों को इस वर्ष के प्रारंभ में तब भारी संकट का सामना करना पड़ा था, जब बेमौसम बरसात के कारण उनकी रबी की पकी फसलें खेतों में बर्बाद हो गई थीं। उस भयावह अनुभव के बाद (जिसने दस एकड़ से कम कृषि भूमि वाले छोटे और मंझोले किसानों की आर्थिक हालात को काफी प्रभावित किया था) अब हम पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार के कुछ हिस्से,...
More »कम हो पाएगा स्कूली बस्तों का बोझ?- उमेश चतुर्वेदी
राजनीतिक दल चुनाव मैदान में उतरते हुए ढेर सारे वायदे करते हैं। लेकिन अगर वे चुनाव जीतकर सरकार बना लेते हैं, तो तमाम वायदे भूलने लगते हैं। स्कूली बस्ते से बोझ हटाने का वायदा भी ऐसा ही है। करीब 27 साल से लटकी इस योजना को अब तक किसी सरकार ने गंभीरता से लागू करने की कोशिश नहीं की। पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने पिछले दिनों यह घोषणा...
More »‘सरकारें चाहती हैं कि संसाधनों पर जनता का कोई नियंत्रण न रहे’- मेधा पाटकर
सरदार सरोवर बांध का डूब क्षेत्र 214 किलोमीटर का है. इस परियोजना से लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं. इससे विस्थापित होने वालों में 50 प्रतिशत आदिवासी और 20 प्रतिशत से ज्यादा लोग गरीब और वंचित समुदायों के हैं. नर्मदा बचाओ आंदोलन की शुरुआत जनशक्ति के आधार पर हुई है. अब तक जो हासिल हुआ वह लंबे मैदानी संघर्ष और कानूनी लड़ाइयों की वजह से संभव हुआ है. इस आंदोलन...
More »ADR रिपोर्ट: चुनाव खर्च पर कौन बोल रहा है झूठ? पॉलिटिकल पार्टियां या सांसद
नई दिल्ली. देश की पॉलिटिकल पार्टियां और सांसद दोनों ही देश को गुमराह कर रहे हैं। चुनाव खर्च संबंधी डिटेल को देखे तो पता चलता है कि लगभग सभी पार्टियां और उनके सांसदों ने इलेक्शन कमीशन को गलत जानकारी दी है। यह खुलासा बुधवार को एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म (एडीआर) ने किया है। 2014 के चुनाव में खर्च हुई राशि से यह सच्चाई सामने आई है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, एनसीपी,...
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