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सिर उठाते दिख रहे हैं दो संकट - राजीव सचान

सहज मार्ग से नाम से प्रचलित आध्यात्मिक संस्था श्रीरामचंद्र मिशन के संस्थापक एवं अध्यक्ष रामचंद्र ने 1966 में प्रकाशित अपनी पुस्तक रियल्टी एट डॉन में भारत के उत्थान और पश्चिम के पराभव का एक खाका खींचा है। उन्होंने लिखा है कि इस पराभव का एक कारण पश्चिम में धरती के गर्भ में सक्रिय होने वाले ऐसे ज्वालामुखी भी बनेंगे जो अभी सुप्त अवस्था में हैं। पता नहीं, वह सब कुछ...

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दादी से सीखी कला से खड़ा किया अपना रोजगार

बचपन में सीखी गयी कला कभी रोजगार का जरिया बन जायेगी, यह सोचा भी नहीं था. जयनगर, मधुबनी की नाजदा खातून बचपन में दादी से सिक्की बुनाई सीखा करती थीं. उनकी ख्वाहिश थी कि उनके हुनर को लोग दूर-दूर तक जानें और लोग भी इस पारंपरिक कला से जुड़ें. लेकिन तब ऐसा नहीं हो सका. ग्रामीण परिवेश की नाजदा की शादी कम उम्र में हो गयी और यह अरमान मन...

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बिन पानी सब सून : देश के दस से ज्यादा राज्यों में हालात गंभीर

सूखे का संकट  रहिमन पानी राखिये, बिन पानी सब सून। पानी गये न उबरे, मोती मानुष चून॥ हिमांशु ठक्कर वर्षों पूर्व रहीम की वाणी ने जिस संकट के प्रति आगाह किया था, वह आज फिर यथार्थ के रूप में हमारे सामने है. कुछ माह पहले तक सूखे का जो संकट मराठवाड़ा और बुंदेलखंड जैसे कुछ इलाकों तक सीमित था, वह अब देश के दस से ज्यादा राज्यों में फैल चुका है.  सूखे और...

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सूखा और जल संसाधन प्रबंध-- बिभाष

महाराष्ट्र फिर सूखे के चपेट में है. बुंदेलखंड पहले से ही समाचारों में बना हुआ है. खेती और किसानों को लेकर रोज बुरी खबरें आ रही हैं. महाराष्ट्र में पानी की कमी का लगातार तीसरा साल है. बुंदेलखंड में भी सूखे का चौथा साल चल रहा है. खेती बुरी तरह से संकट में है. दरअसल, पूरा मामला जल और भूमि के कुप्रबंध का है. देश में हर साल कहीं...

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सकारात्मकता का नतीजा, 50 लाख पेड़- सच्चिदानंद भारती

जब मैं यह लिख रहा हूं तो करीब 40 साल का काम आंखों में तैर रहा है। यह मेरे आसपास के 136 गांवों में फैला हुआ है। देवभूमि उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल और चमौली जिले के इन गांवों में हमने करीब 50 लाख पौधे रोपे। अब ये पहाड़ों पर आसमान चूमते हरे-भरे दरख्तों की शक्ल में सामने हैं, जिन्हें देखने देश-दुनिया के हजारों लोग आते हैं। मशहूर चिपको आंदोलन की...

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