अगर जानना चाहें कि कोई देश प्रगति के किस मुकाम तक पहुंचा है तो पैमाना बनाइए उस परिवेश को जिसमें वहां बच्चे बड़े हो रहे हैं। परिवेश कुपोषण, भुखमरी, अस्वास्थ्यकर अड़ोस-पड़ोस और जबरिया बाल-मजदूरी का हो तो देश को प्रगति के क्रम में बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।द स्टेट ऑव वर्ल्ड चिल्ड्रेन रिपोर्ट के तथ्यों से पता चलता है कि विश्व के भावी नागरिकों के हक में बड़ा कम निवेश किया जा रहा है।...
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आपके गांव,शहर की कितनी आबादी, जानिए ऑनलाइन
भोपाल. मध्य प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य होने जा रहा हैं, जहां जनगणना के आंकड़ों को गांव व कस्बों के स्तर तक ऑनलाइन मुहैया कराया जाएगा। यही नहीं ग्राफ, टेबल, मैप व गूगल सेटेलाइट इमेज के जरिए इन आंकड़ों का ऑनलाइन विश्लेषण कर गरीबी,साक्षरता,रोजगार,जनसंख्या घनत्व व विकलांगता आदि की स्थिति भी जानी जा सकेगी। यदि आप चाहें तो इसमें उपलब्ध सॉफ्टवेयर के माध्यम से आटोमैटिक पॉवर पॉइंट प्रजेंटेशन, वीडियो या...
More »कमजोर महिलाओं की ताकत बना एक बैंक- आशीष कुमार अंशु
वनिता जालिन्दर पीसे आज से कुछ साल पहले लोन के लिए बैंकों के चक्कर लगा रही थीं। बैंकों की औपचारिकता ओं और पेपर वर्क की वजह से उन्हें लोन नहीं मिल पा रहा था। निराश होकर वह घर बैठ गईं। उन्होंने लोन की आशा ही छोड़ दी। तभी एक दिन मानदेसी महिला संगठन के कुछ लोग उनके पास आए और उन्हें आसान शर्तों पर लोन मिल गया। वर्ष 2003 में उन्होंने...
More »बड़े सपनों की पाठशाला का नन्हा हेडमास्टर
16 साल के बाबर अली का स्कूल बताता है कि बड़े काम बड़ी उम्र के मोहताज नहीं होते. सम्राट चक्रबर्ती की रिपोर्ट(तहलका (हिन्दी) से साभार) प. बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में स्थित बेल्डांगा रेलवे क्रॉसिंग के आस-पास शायद ही ऐसा कुछ हो जो आपको खास लगे. लेकिन कोलकाता से हमारी पांच घंटे की बस यात्रा की मंजिल यहीं थी. मार्क्सवादी सपने दिखानेवाले और शादीशुदा दंपत्तियों की निजी समस्याओं के समाधान...
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