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UAE और भारत दुनिया के सबसे भरोसेमंद देश, स्विटजरलैंड में सबसे कुशल मानव श्रम

दावोस : एक सर्वे में भारत दुनिया का दूसरा सबसे भरोसेमंद देश बन गया है. जबकि यूनाइटेड अरब अमीरात इस सूची में पहले स्थान पर है. पीआर फर्म एडेलमैन ने एक अध्ययन किया है, जिसमें संस्थानों में लोगों द्वारा जताए गए विश्वास के आधार पर यह रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया है. इस सूची में वर्ष 2015 में भारत तीन पायदान ऊपर चढ़ कर पहले स्थान पर पहुंच गया. यह सूची...

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ऑस्ट्रेलिया की नौकरी छोड़ सरपंच बना एनआरआई

नईदुनिया ब्यूरो, जयपुर। राजस्थान के नागौर जिले के एक गांव को एक प्रवासी भारतीय सरपंच के रूप में मिला है। 29 वर्षीय यह युवक हनुमान ऑस्ट्रेलिया में एक तीन सितारा होटल की लाखों रुपए की नौकरी छोड़कर यहां सरपंच बनने आया और गांववालों ने भी उसे 2450 वोटों के बड़े अंतर से जीत दिलाई। दरअसल हनुमान नामक यह युवक इसी गांव के एक किसान का बेटा है और उसने ऑस्ट्रेलिया से...

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समाज और कानून की नजर में समर्पण की कीमत बस इतनी-सी?

जो महिलाएं दफ्तरों में काम करती हैं या बिजनेस संभालती हैं, उनकी सेवाओं की कीमत कमाई के आंकड़े से आंकी जा सकती है, लेकिन एक गृहिणी की सेवाओं और परिवार के प्रति समर्पण भाव की कीमत कैसे आंकी जाए? ऐसे ही एक मामले में चेन्नई के दुर्घटना दावा प्राधिकरण की संकीर्ण सोच सामने आई है। मामला है 31 वर्षीय सेल्‍वी का, जो कपड़े बेचकर पांच हजार रुपए प्रतिमाह कमाती थीं। एक...

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सरकारी ढर्रे को बदलने का सवाल - नंटू बनर्जी

आगामी 25 दिसंबर को मोदी सरकार ने 'सुशासन दिवस" के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। सुशासन या गुड गवर्नेंस लंबे समय से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बुनियादी एजेंडे में शामिल रहा है। पर सवाल उठता है कि प्रशासनिक ढांचे व सुशासन के आपसी रिश्तों से हम क्या समझें। कारोबारी समूहों में ऐसा होता है कि गिने-चुने लोगों का प्रबंधन चंद लोगों के कार्यसमूह के साथ भी अपनी सुदक्षता...

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कंपनी बड़ी या देश-- अरविन्द कुमार सेन

नोबेल पुरस्कार विजेता पॉल क्रुगमैन ने दो दशक पहले शोध पत्रिका हॉवर्ड बिजनेस रिव्यू में ‘देश एक कंपनी नहीं है' शीर्षक से शोध-पत्र लिखा था। यह शोध-पत्र उस दौर में प्रकाशित हुआ था, जब भुगतान संतुलन की बीमारी से दो-चार हो रही भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक संगठन की अगुआई में नवउदारवादी नीतियां थोपी जा रही थीं। हर तरफ आर्थिक सुधारों की मार्फत अर्थव्यवस्था को...

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