जून महीने के बीस दिनों में हुर्इं चालीस से अधिक किसानों की आत्महत्याओं का किसी के पास कोई जवाब नहीं है। किसान आंदोलन से निपटने के लिए सरकार को ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य' पर केवल तुअर, मूंग और उड़द खरीदने और आठ रुपए किलो में प्याज खरीदने और फिर भंडारण की कमी के चलते सड़ाने की तजवीज भर नजर आई। आज भी किसानी ‘अन-स्किल्ड' यानी अकुशल श्रम भर मानी जाती है...
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बैंकों के विलय पर टिकी उम्मीद-- सतीश सिंह
सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के विलय का मन बना लिया है। इसलिए उसने नीति आयोग से इस मसले पर अनुशंसाएं आमंत्रित की हैं और रिजर्व बैंक को भी इस संबंध मेंसुझाव देने के लिए कहा है। वर्तमान में सरकार चार बड़े और छह छोटे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय करना चाहती है। चिह्नित किए गए छह छोटे बैंकों में यूनाइटेड बैंक आॅफ इंडिया, यूको बैंक, यूनियन बैंक...
More »किस हद तक माफ हों कर्ज-- आर. सुकुमार
भारत में इस मानसून की यदि कोई थीम है, तो मेरी राय में वह ‘कर्ज' है। तीन मामले आपके सामने रख रहा हूं। पहला, रिजर्व बैंक अपनी नई ताकतों से परिचय करा रहा है। नई बैंकरप्सी कोड के तहत उसने 12 बड़ी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की है। इन कंपनियों पर हमारे बैंकिंग सिस्टम के कुल एनपीए यानी डूबे हुए कर्ज का लगभग एक चौथाई हिस्सा बकाया है। यह रकम...
More »इंदौर, बालाघाट और झाबुआ में तीन किसानों ने की खुदकुशी
भोपाल/ बालाघाट/इंदौर/झाबुआ। मध्यप्रदेश में फिर तीन किसानों द्वारा खुदकुशी की घटनाएं सामने आई हैं। बालाघाट और इंदौर जिले में दो किसानों ने कर्ज से परेशान होकर जान दे दी, उधर झाबुआ जिले में बेटे के ससुराल वालों को दहेज नहीं दे पाने पर किसान ने आत्महत्या कर ली। बालाघाट में किसान का शव सड़क पर रखकर चक्काजाम हुआ। बालाघाट के भरवेली जागपुर निवासी किसान डालचंद पिता आत्मा राम लिल्हारे ने कीटनाशक...
More »खेती में घाटा, कर्ज से परेशान किसान ने की आत्महत्या
जयपुर। राजस्थान के बारा जिले के किशनगंज में एक किसान ने कर्ज से परेशान हो कर आत्महत्या कर ली। किसान गांव के बाहर खेत में फंदा लगाकर झूल गया। सकरावदा गांव इस किसान का नाम संजय हैं। परिजनों के अनुसार वह खेती में हुए घाटे के बाद वह खास परेशान था। उस पर तीन लाख का कर्ज था और वह अपनी क्रेडिट लिमिट बढ़ाना चाहता था, लेकिन बैंक ने इससे मना...
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