दार्जीलिंग की सड़कों पर अंगरेजी और नेपाली में लगाये जा रहे हैं- 'वी वांट गोरखालैंड. गोरखालैंड-गोरखालैंड. गोरखालैंड चाहिन छ. चाहिन छ-चाहिन छ. हामरौ मांग गोरखालैंड.' इन्हीं नारों के बीच पश्चिम बंगाल इन दिनों गोरखालैंड की आग में जल रहा है. दरअसल, इस हिंसा और आगजनी के पीछे भाषाई राज्य की कल्पना है जिसने एक आंदोलन का रूप ले लिया है. पिछले सौ वर्षों से जारी गोरखालैंड की मांग को खुद...
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PM मोदी ने कहा- गोरक्षा के नाम पर हिंसा करने वालों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई
नई दिल्ली। मानसून सत्र में सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे विपक्षी दलों की रणनीति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही पानी फेर दिया। रविवार को सर्वदलीय बैठक में उन्होंने गोरक्षा के नाम पर हिंसा फैलाने वालों पर सख्त कार्रवाई की अपील करते हुए राज्य सरकारों को उनकी जिम्मेदारी का अहसास कराया। लगे हाथों भ्रष्टाचार के खिलाफ राजनीतिक दलों को एकजुट होने की सीख देकर महागठबंधन की दरार...
More »अब नई टेलीकॉम नीति लाने का वक्त-- राजीव चंद्रशेखर
देश में दूरसंचार के क्षेत्र में सुधार लागू होने का पच्चीसवां साल चल रहा है, जो अगले साल पूरा होगा। आधुनिक भारत के इतिहास में ये सुधार मील का महत्वपूर्ण पत्थर है। 1993 में ही चार प्रमुख महानगरों में निजी कंपनियों को सेल्यूलर टेलीफोनिंग के लाइसेंस दिए गए थे। यह वह समय था जब फोन कनेक्शन की वेटिंग लिस्ट 3-4 साल की होती थी और फोन से जुड़ी शब्दावली में...
More »अंतिम समाधान तो पुलिस ही है-- विभूति नारायण राय
दुनिया भर का अनुभव बताता है कि नागरिक असंतोष यदि समय से सुलझाया न जा सके और उसे अनुकूल खाद-पानी मिले, तो अंततोगत्वा वह एक सशस्त्र प्रतिरोध में तब्दील हो जाता है। खास तौर से जब धर्म जैसा कोई मजबूत दर्शन इसके पीछे हो और बिना किसी गंभीर प्रयास के सरकारें सिर्फ लीपापोती कर रही हों, तब स्थिति अधिक बिगड़ सकती है। शुरुआत में तो इस उभार का सामना नागरिक...
More »कमजोर जड़ों पर मजबूत नहीं होगी शिक्षा -- डा. रुक्मिणी बनर्जी
हर वर्ष असर की रिपोर्ट के माध्यम से हम देश में पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों की बुनियादी दक्षताओं का आंकलन करते हैं. असर की रिपोर्ट को देखेंगे, तो उससे स्पष्ट है कि हमारी जड़ें ही कमजोर हैं. देखा गया है कि बच्चे आठवीं कक्षा तक पहुंच जाते हैं, लेकिन उन्हें बुनियादी ज्ञान नहीं होता. जाहिर है कि कमजोर नींव पर खड़ी गयी इमारत कमजोर होगी. हर साल...
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