जनसत्ता 20 अक्टुबर, 2012: दिल्ली के एक अग्रणी अस्पताल में पिछले दिनों एक अलग किस्म के सम्मान समारोह का आयोजन हुआ। महज सत्रह साल की उम्र में दुर्घटना की शिकार हुई पायल (बदला हुआ नाम)- जिसे डॉक्टरों ने ब्रेन-डेड घोषित किया था उसके माता-पिता इस समारोह के केंद्र में थे, जिनके बेहद कठिन निर्णय से तीन लोगों की जिंदगी बची और दो लोगों की दृष्टि वापस लौटी। निश्चय ही उनके लिए...
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झटका उपचार का नया दौर- आनंद प्रधान
जनसत्ता 19 सितंबर, 2012: यूपीए सरकार ने एक झटके में ताबड़तोड़ डीजल-रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी से लेकर अर्थव्यवस्था के संवेदनशील क्षेत्रों को विदेशी पूंजी के लिए खोलने और सार्वजनिक क्षेत्र की कई कंपनियों के विनिवेश जैसे कई बड़े और विवादास्पद फैसलों का एलान करके संकट में फंसी अर्थव्यवस्था पर ‘झटका उपचार’ (शॉक थेरेपी) को आजमाने की कोशिश की है। यह उपचार भारत में कोई पहली बार नहीं आजमाया जा रहा...
More »भूख के खिलाफ अधूरी जंग- तवलीन सिंह
उस बच्चे की तसवीर इतनी भयानक, इतना दिल दहला देने वाली थी, कि मुंबई शहर में सिर्फ एक अखबार ने उसे छापा अपने पहले पन्ने पर। यह तसवीर उस दिन छपी, जब महाराष्ट्र की सरकार ने पिछले सप्ताह स्वीकार किया कि बीते वर्ष 24,000 बच्चे कुपोषण के कारण मर गए, भारत के इस सबसे विकसित राज्य में। महिला एवं शिशु विकास मंत्री वर्षा गायकवाड़ ने विधानसभा को एक लिखित जवाब...
More »झुग्गियों से ब्रिटेन तक, नए भविष्य की उम्मीद
‘स्लमडॉग मिलेनियर’ फिल्म में हमने गरीबी में जी रहे बच्चों की अमीर बनने से कहानी देखी है. अब भारत की कुछ बड़ी झुग्गी झोपड़ी बस्तियों के बच्चों का एक समूह ब्रिटेन में अपने जीवन पर आधारित एक म्यूज़िकल पेश कर रहा है. इनमें से अधिकतर बच्चे कूड़ा बीनने का काम करते हैं और बाकियों के माता-पिता लोगों के घर काम करते हैं. दस से चौदह साल के बीच के इन बच्चों...
More »दिल्ली उनका परदेस - हमंत शर्मा
जनसत्ता 15 दिसंबर, 2011: पिताश्री ठीक होकर बनारस लौट गए हैं। मैं उन्हें दिल्ली में उतने ही दिन रोक पाया जब तक वे बिस्तर पर थे। उनका दिल सामान्य आदमी से आधा धड़क रहा था। इस कारण शरीर के दूसरे हिस्से में खून और आॅक्सीजन की आपूर्ति काफी कम थी। डॉक्टरों ने उनके दिल में पेसमेकर लगाया। वे ठीक होते ही एक रोज भी यहां नहीं रुके। लौट गए बनारस।...
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