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शिक्षा के नाम पर राजनीति- मनीषा प्रियम

उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में तैनात शिक्षामित्रों की नियुक्ति रद्द करने संबंधी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक फैसले से देश में बच्चों की शिक्षा को लेकर राजनेताओं की मंशा पर सवाल पैदा हुआ है। मुद्दा उत्तर प्रदेश में यह था कि मायावती की सरकार ने 1999 में शिक्षकों की नियुक्ति संविदा के आधार पर की। ये शिक्षक पंचायत शिक्षामित्र कहलाए। इनके लिए वांछित न्यूनतम योग्यता पूर्णकालिक शिक्षकों के लिए...

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अच्छी सेहत से दूर होती आबादी- के सी त्यागी

नीति आयोग ने हाल ही में सार्वजनिक चिकित्सा क्षेत्र के खर्चे में कटौती करने को कहा है। आयोग ने इस क्षेत्र में हो रहे निवेश पर काबू पाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा के तहत लोगों को नि:शुल्क मिल रही दवाइयों व अन्य सेवाओं को नियंत्रित करने की भी अनुशंसा की है। इसके अलावा आयोग स्वास्थ्य के क्षेत्र में निजी क्षेत्र के निवेशकों तथा बीमा कंपनियों को मुख्य भूमिका में लाने...

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डिजिटल इंडिया-- बहुत कठिन है डगर पनघट की

अगर आप सोचते हैं कि देश के ढाई लाख पंचायतों को तेज गति के इंटरनेट से जोड़कर नागरिकों को जरुरी सेवा ऑनलाइन प्रदान करने का डिजिटल इंडिया मिशन शीघ्र साकार होने वाला सपना है तो नीचे लिखे तथ्यों पर गौर कीजिए--   यंगिस्तान कहलाने वाले हिन्दुस्तान के गंवई इलाकों में 14-29 साल के 82 फीसदी व्यक्ति कंप्यूटर चलाना नहीं जानते. शहरी अंचलों में ऐसे व्यक्तियों की की तादाद 50 प्रतिशत (51 फीसदी)...

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खाद्य सुरक्षा: सुधर सकते हैं फिसड्डी राज्यों के भी हालात- ज्यां द्रेज, रीतिका खेड़ा

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) की दशा ठीक नहीं है। अधिनियम को लागू हुए दो साल होने को आये लेकिन कुछ ही राज्य इसपर अमल कर पाये हैं। बाकी राज्य अब भी पात्र परिवारों की पहचान, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के सुधार तथा अन्य तैयारियों से जूझ रहे हैं। तो भी, हाल के सबूतों से संकेत मिलते हैं कि कुछ राज्य अधिनियम को बेहतर ढंग से लागू कर पाये...

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किसानों की खुदकुशी के सबब- विनोद कुमार

जरा गौर कीजिए कि इसी देश में करीब अठारह-बीस करोड़ भूमिहीन दलित, अति पिछड़े मजूर हैं। उनके जीवन में यह मौका ही नहीं आता कि वे बैंक से कर्ज लें, खेती करें, उनकी फसल नष्ट हो और वे आत्महत्या कर लें। इसका अर्थ यह नहीं कि हम किसानों की आत्महत्या से पीड़ा का अनुभव नहीं करते। लेकिन इस बात को समझना तो होगा कि एक भूमिहीन किसान या मजूर आत्महत्या न...

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