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क्या खराब होती है सस्ती जेनरिक दवाओं की क्वालिटी ?

आम लोगों को सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए भारत सरकार अब जेनेरिक दवाइयों के इस्तेमाल को लेकर प्रस्ताव लाने जा रही है. इस प्रस्ताव के तहत सभी डॉक्टर अब मरीज़ों के प्रिस्क्रिप्शन पर दवाओं के ब्रांड की बजाय उनके जेनेरिक नाम ही लिखेंगे. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने इसको लेकर 'ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट' में संशोधन की तैयारियां भी शुरू कर दीं हैं. सरकार के इस फैसले से दवा बनाने वाली...

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सरकारी डॉक्टर नहीं लिख रहे हैं जेनेरिक दवा, जनऔषधि स्टोर घाटे में

रायपुर। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय प्रदेश में 157 जनऔषधि दवा स्टोर संचालित कर रहा है। दवाएं मंत्रालय अधीनस्थ प्लांट में बनाई जाती हैं, इसलिए ये बाजार में मौजूद ब्रांडेड दवाओं से 13 गुना तक सस्ती हैं। इसके बावजूद सरकारी डॉक्टर जेनेरिक दवा लिखने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं।   जानबूझकर ब्रांडेड दवाएं लिख रहे हैं। मजबूरन जरूरतमंद मरीजों निजी दवा स्टोर से खरीदनी पड़ ही है। यही वजह है कि...

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मर्ज का इलाज नहीं कर्ज माफी - डॉ भरत झुनझुनवाला

आठ साल पहले केंद्र की मनमोहन सिंह सरकार ने राष्ट्रीय स्तर पर किसानों का कर्ज माफ किया था। अब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में किसानों की कर्ज माफी की है। दस वर्षों से भी कम अंतराल में किसानों का कर्ज दोबारा माफ करना पड़ा है। यह दर्शाता है कि मौजूदा व्यवस्था में किसान कर्ज लेते रहेंगे और सरकारें उसे माफ करती रहेंगी। कर्ज माफी किसान की...

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जहां चाहे वहां कराएं इलाज, पढ़ें राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति की 8 बातें

केंद्र सरकार ने आज राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति को मंजूरी दे दी। इस नीति के जरिए देश में सभी को निश्चित स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने का प्रस्ताव है। इसके तहत स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने और इसके लिए मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाओं का प्रावधान करने को सरकार की जिम्मेदारी बताया गया है। सरकारी सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने पिछले दो साल से लंबित स्वास्थ्य नीति को...

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हर साल मध्यप्रदेश के 100 अस्पताल हो रहे हैं डाक्टर विहीन

भोपाल, शशिकांत तिवारी। प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी दूर होने के बजाय लगातार बढ़ती जा रही है। डॉक्टरों की नई पौध सरकारी नौकरी में आने को तैयार नहीं है। पुराने रिटायरमेंट की कगार पर हैं। हर साल करीब 100 अस्पताल डॉक्टर विहीन हो रहे हैं। अगर हालात जल्द नहीं बदले तो आने वाले दस सालों में अधिकांश सरकारी अस्पताल डॉक्टर विहीन हो सकते हैं। ऐसे में लोगों...

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