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किसे आवाज दें- जयप्रकाश त्रिपाठी(तहलका)

पप्पू जायसवाल गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड में पड़े हैं. कमर में गोली लगने से गंभीर रूप से घायल यह शख्स अब अपने बच्चों का पेट पालने के लिए शायद ही पहले की तरह मजदूरी कर पाए. जायसवाल की अनपढ़ पत्नी संगीता और उनके रिश्तेदार हर आने-जाने वाले से बस एक ही सवाल करते हैं, 'क्या मजदूर को अपने हक की बात करने का कोई अधिकार नहीं?'...

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आरटीआई कानून- हंगामा है क्यों बरपा ?

जो कभी इसके पैरोकार थे वही सूचना का अधिकार अधिनियम के कानूनी शक्ल लेने के पाँच साल बाद इतने चिन्तित क्यों है ? किस लिए एक बार फिर से इस मुद्दे पर धरना, रैली, सम्मेलन और भूख-हड़ताल की बाढ़ सी आई हुई है ? इसकी एक वजह तो यही है कि सूचना का अधिकार कानून से जिस मौन क्रांति का चक्का चल पडा है, उसकी गति को निहित स्वार्थवश किए...

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जनगणना हो गई पर छूट गए हजारों बेघर

नई दिल्ली.बेघरों के प्रति जनगणना अधिकारियों की बेरुखी ने जनसंख्या गणना की कवायद को मजाक बना दिया और बेघरों को अछूत। यह कहना है बेघरों के बीच काम करने वाले कई गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) का। एनजीओ ग्लोबल सोशल सर्विस सोसायटी ने दावा किया है कि दिल्ली में बेघरों की गणना में अपनाई गई प्रक्रिया किसी भ्रष्टाचार से कम नहीं है। दिल्ली के नांगलोई, पुराना ब्रिज, लोहा पुल इलाके में रहने वाले...

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कोयले से मिटती है भूख

धनबाद. जिले में एक-दो नहीं लगभग पचास हजार ऐसे लोग हैं जिनके पेट की आग मालगाड़ियों से बुझती है। कोयले से लदी मालगाड़ियां से कोयला चोरी कर बेचना इनका मुख्य पेशा है। गंदा है,अवैध है, पर यही इनका धंधा इनकी रोजरोटी का माध्यम है। इनके लिए मनरेगा कोई मायने नहीं रखता। इनका साफ कहना है कि आठ घंटे काम करने पर के बाद भी न्यूनतम मजदूरी से मनरेगा में अधिक नहीं मिलता,...

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मनरेगा - पांच साल दुनिया की सबसे बड़ी रोजगार गारंटी योजना के

बहुत थोड़ी होती है पांच साल की अवधि फिर भी नरेगा की उपलब्धियां आवाक कर रही हैं। देश के सर्वाधिक गरीब में शुमार लोगों में से तकरीबन दस करोड़ ने बैंक या फिर पोस्ट-ऑफिस में बैंक अकाऊंट खोले हैं, लोग अपना अधिकार समझकर काम मांग रहे हैं, हजारों गांवों में कुएं-तालाब और ऐसे ही सामुदायिक इस्तेमाल के कई संसाधन तैयार हो रहे हैं, औरत हो या मर्द- दोनों को बराबर के काम के लिए बराबर की...

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