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मौसम की मार से फसल बर्बाद होने के बावजूद मुआवजे से वंचित भूमिहीन किसान

मोंगाबे हिंदी, 21 फरवरी उत्तर प्रदेश में सीतापुर जिले के तुरकौली गांव में रहने वाले 64 वर्षीय किसान राम सागर की अक्टूबर 2022 में भारी और बेमौसम बारिश के कारण साढ़े तीन एकड़ धान की फसल बर्बाद हो गई थी। इसी गांव में रहने वाले 42 साल के जाबिर अली का हाल भी कुछ ऐसा ही था। उनके एक एकड़ जमीन पर लगा धान बारिश की वजह से पूरी तरह खराब...

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2019-21 के बीच आत्महत्या करने वालों में दैनिक वेतन भोगियों और गृहिणियों की संख्या सर्वाधिक

द वायर, 15 फरवरी श्रम और रोजगार मंत्रालय ने सोमवार (14 फरवरी) को एक सवाल के जवाब में लोकसभा को बताया कि 2019 और 2021 के बीच देश भर में आत्महत्या से मरने वाले लोगों की सबसे बड़ी श्रेणी दैनिक वेतन भोगी (दिहाड़ी) लोगों की है. आत्महत्या के मामले में दूसरी सबसे बड़ी श्रेणी गृहिणियों की है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के डेटा के मुताबिक, स्व-नियोजित व्यक्तियों, बेरोजगारों और छात्रों की...

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बजट में कृषि क्षेत्र के लिए आवंटन वास्तविक अर्थों में 2 साल में कम हुआ, सिंचाई को भी तवज्जो नहीं

रूरल वॉयस , 14 फरवरी सबसे पहले सुर्खियां। वित्त वर्ष 2023-24 के आम बजट में कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय का आवंटन 2022-23 के 1.24 लाख करोड़ रुपए के बजट अनुमान से घटाकर 1.15 लाख करोड़ रुपए कर दिया गया है। महंगाई को समायोजित करें तो बीते 2 वर्षों के दौरान वास्तविक अर्थों में आवंटन कम हुआ है। दूसरी सुर्खी- कृषि के लिए महत्वपूर्ण सिंचाई की पूरी तरह अनदेखी की गई...

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क्या महंगा पड़ सकता है ईंधन के लिए गन्ने का उपयोग?

द थर्ड पोल, 14 फरवरी उत्तर प्रदेश में मेरठ के बाहरी इलाके में पिछले कुछ महीनों से बड़ी-बड़ी चिमनियां लगातार धुंआ उगल रही हैं। अक्टूबर से अप्रैल गन्ना-पेराई का मौसम होता है। गन्ने की मदद से भी इथेनॉल बनता है। इस दौरान यहां की चीनी मिलें चालू रहती हैं। बिजली पैदा करने के लिए गीले पौधों के कचरे को जलाया जाता है, जिससे धुआं पैदा होता है, जो वातावरण में मंडराता...

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प्राकृतिक नहीं, एक सुनियोजित आपदा है जोशीमठ

डाउन टू अर्थ, 10 फरवरी  हिमालय की ढलानों पर 1,874 मीटर की ऊंचाई पर बसे जोशीमठ शहर के धंसने की शुरुआत हो चुकी है। आशंका इस बात की है कि केवल एक यही शहर ही नहीं, बल्कि आसपास के दूसरे कई गांव या कस्बे भी धीरे-धीरे धरती में समा सकते हैं। लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जा रहा है और सरकारें उन सुरक्षित जगहों की तलाश में जी-जान से जुटी...

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