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महिलाओं के मुंह अंधेरे उठकर जाने की मजबूरी कब तलक - मनीषा सिंह

छत्तीसगढ़ में एक संक्षिप्त कार्यक्रम पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 104 साल की एक बुजुर्ग महिला कुंवर बाई का सम्मान करके एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की है। कुंवर बाई ने अपनी आठ बकरियां बेचकर अपने घर में शौचालय बनवाया था और गांव को स्वच्छता के बारे में जागरूक किया था। असल में गांव-देहात में महिलाओं के लिए शौचालय एक बड़ा मुद्दा है, लेकिन जागरूकता के तमाम प्रयासों...

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मौजूदा विकास मॉडल में गांवों की जगह- मुकुल श्रीवास्तव

खुली अर्थव्यवस्था, खर्च करने के लिए तैयार विशाल आबादी और तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था-ये सारी चीजें एक ऐसे भारत का निर्माण कर रही हैं, जहां व्यापार करने की अपार संभावनाएं हैं। इसके बावजूद आंकड़ों में अभी भारत बहुराष्ट्रीय कंपनियों के व्यापार के लिए आदर्श देश नहीं बन पाया है। मॉर्गन स्टेनली की ताजा रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के शहर अब भी मूलभूत सुविधाओं के अभाव से जूझ रहे...

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गुजरात : गांव में स्कूली छात्राओं के मोबाइल इस्तेमाल पर प्रतिबंध

अहमदाबाद : गुजरात के मेहसाणा जिले के एक गांव में नाबालिग लडकियों के लिए मोबाइल फोन रखने या उसका इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. यह प्रतिबंध इस दावे के साथ लगाया गया है कि गैजेट इन लड़कियों का ध्यान पढ़ाई से भटकाते हैं. हाल ही में लगाया गया यह प्रतिबंध मेहसाणा की काडी तालूका स्थित सूरज गांव की पंचायत ने लागू किया है. नाबालिग लडकियों को यदि मोबाइल...

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बिहार-- गांवगांव तक पहुंचेगी गाड़ियां, घर बैठे किसान बेचेंगे दूध

पटना: पशुपालन किसानों के आय का जरिया हैं। खेती किसानी करने वालों की नकद आमदनी का जरिया है दुग्ध उत्पादन। इसे आमदनी कहें या क्रांति इससे बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। मूल बात है कि किसान जो दूध तैयार करते हैं, उन्हें उनका सही मूल्य मिले। बाजार उपलब्ध हो। और इसी बाजार को किसानों के द्वार तक लाने के लिए अब बिहार सरकार ने प्रयास शुरू कर दिया है बिहार...

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स्मार्ट शहर से अधिक स्मार्ट स्कूलों की जरूरत- श्रीश चौधरी

शिक्षक को वे सारे कार्य करने हैं, जिनके लिए न तो उसकी नियुक्ति हुई है, न ही वह इच्छुक या प्रशिक्षित हैं. 90% से अधिक बच्चे तीसरी-चौथी कक्षा में पहुंच जाने पर भी अपनी ही कक्षा की हिंदी पुस्तक की दो-चार लाइनें भी दो-चार मिनटों में शुद्ध व सहज स्वर में नहीं पढ़ सकते हैं. मध्याह्न भोजन के अतिरिक्त बच्चों को पाठशाला में कोई आकर्षण नहीं रह गया है. पढ़िए...

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