-आउटलुक हिंदी “खाद्य महंगाई दर दहाई अंकों में चली गई है। उपभोक्ता हित के लिए घरेलू किसानों की कीमत पर सस्ते आयात का रास्ता फिर खोला जा सकता है” डायरेक्ट यानी प्रत्यक्ष का रास्ता कई इनडायरेक्ट यानी अप्रत्यक्ष दिक्कतें लेकर आता है। यह बात कृषि क्षेत्र और किसानों के मामले में काफी हद तक लागू होती है। मसलन, सरकार को पता है कि दूध, गन्ना, आलू और प्याज जैसी फसल उगाने वाले...
More »SEARCH RESULT
बजट 2020: पानी, रसोई और मकान को लेकर ग्रामीणों की क्या हैं उम्मीदें?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को 2020-21 का आम बजट पेश करेंगी। इससे पहले जुलाई 2019 में बजट पेश किया गया था। उस वक्त बजट पेश करते हुए निर्मला सीतारमण ने कहा था, ''महात्मा गांधी ने कहा था भारत की आत्मा इसके गांवों में बसती है। हमारी सरकार का केंद्र बिंदू भी गांव, गरीब और किसान है।'' सरकार के केंद्र बिंदू में गांव का होना इस लिए भी जरूरी...
More »रेप की धमकी, गालियां और भद्दी बातें...ये सब झेलती हैं भारत की महिला नेताएं
बलात्कार की धमकियां, गालियां, महिलाविरोधी कमेंट और भद्दी बातें. भारत की महिला नेताएं ये सब झेलती हैं. 'ट्रोल पेट्रोल इंडिया: एक्सपोज़िंग ऑनलाइन अब्यूज़ फ़ेस्ड बाय वूमन पॉलिटिशियंस' नाम के एक नए अध्ययन में पता चला है कि भारतीय महिला नेताओं को ट्विटर पर लगातार दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है. एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया की मदद से किए गए इस अध्ययन में 95 भारतीय महिला नेताओं के लिए किए गए ट्वीट्स की समीक्षा...
More »गुणों की वजह से खैर के पेड़ों पर वन माफिया की नजर, तेजी से सिमट रहा जंगल
देशभर में खैर का जंगल तेजी से सिमट रहा है और वन विभाग ने इसे दुर्लभ वृक्ष की श्रेणी में रखा है। राष्ट्रीय वन नीति 1988 में पेड़ों की प्रजातियों को संतुलित रूप से इस्तेमाल में लाने की बात कही गई है जिससे वे खत्म न हों।अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने वर्ष 2004 में विश्व में तकरीबन 552 पेड़ों की प्रजातियों को खतरे में माना गया जिसमें 45 प्रतिशत...
More »बुजुर्गों को पेंशन देने के पैसे नहीं, और एनआरसी पर लाखों करोड़ खर्च रही सरकार
21 जनवरी को दिल्ली के 20 से अधिक संगठनों मिलकर जंतर मंतर पर पेंशन परिषद के बैनर तले पेंशन के मुद्दे पर ‘पेंशन नहीं तो वोट नहीं’ धरने का आयोजन किया। इस धरना रैली में दिल्ली एनसीआर के कोने-कोने से हजारों की संख्या में लोग एकजुट हुए और मंच से अपनी तकलीफें साझा की। इसमें सेक्स वर्कर, विकलांग, बेघर, असंगठित क्षेत्र के मजदूर, ट्रांसजेंडर, एकल व विधवा महिलाएं, बुजुर्ग अपने...
More »