असम बारूद के ढेर पर बैठा है. वहां की पार्टियां इसमें आग सुलगाकर वोट की रोटी सेंक रही हैं. बाकी देश आंख मूंदे बैठा है या सोच रहा है कि जब विस्फोट होगा, तब देखा जायेगा. समस्या पुरानी है, लेकिन संदर्भ नया है. विदेशी अाप्रवासियों का सवाल कई दशकों से असम का नासूर बना रहा है. आजादी के बाद से ही राज्य में देश के भीतर और बाहर दोनों तरफ...
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आधार के कारण 28 लाख पेंशनर बुजुर्ग हो गये बे-आधार!
2014-15 में इंदिरा गांधी पेंशन पाने वाले बुजुर्गों की संख्या थी 46 लाख 50 हजार 766 पटना : आधार कार्ड की अनिवार्यता ने बिहार में बुजुर्गों की संख्या में 28 लाख की कमी ला दी है. वित्तीय वर्ष 2014-15 से लेकर 2016-17 तक यानी तीन सालों में यह बड़ी कमी आयी है. जहां 2014-15 में बिहार में सामाजिक सुरक्षा पेंशन के तहत इंदिरा गांधी पेंशन पाने वाले बुजुर्गों की संख्या 46...
More »'हम दो हमारे दो' का सपना अभी भी अधूरा, लेकिन कम हुई है जन्मदर
नयी दिल्ली : हिंदू और मुस्लिमों को छोड़कर देश में रहने वाले अन्य समुदायों की बात करें तो उनमें बच्चे पैदा करने की दर में खासी कमी दर्ज की गयी है. यही नहीं , यह स्तर रिप्लेसमेंट लेवल से भी कम हो चुका है. इसका मतलब यह है कि यदि बच्चे इस रफ्तार से पैदा हुए तो भविष्य में समुदाय की आबादी मौजूदा संख्या से भी कम रह जाएगी. हिंदुओं...
More »भीमा कोरेगांव का प्रतीक-- अनुज लुगुन
दासता से मुक्ति के पूर्वज के रूप में स्पार्टाकस को याद किया जाता है. रोमन साम्राज्य की महानता के नीचे दासों की सिसकियां दबी हुई थी. गौरव, वैभव और विस्तार शासक की चाबुक और दासों की पीठ पर टिकी थी. यह ऐसी नृशंसता थी, जो लोगों को दिखती तो थी, लेकिन उन्हें पीड़ा के बजाय उससे सुख मिलता था. समाज, कानून और उसकी मान्यताएं 'ग्लैडिएटर' की मौत पर उत्सव मनाते थे....
More »गंभीर होते खेती व रोजगार के सवाल - प्रदीप सिंह
लोकसभा चुनाव अभी सवा साल दूर हैं। इसे यों भी कह सकते हैं कि लोकसभा चुनाव में बस 16 महीने रह गए हैं। सभी राजनीतिक दलों ने चुनाव की तैयारी अभी से शुरू कर दी है। 2014 के लोकसभा चुनाव और 2019 के चुनाव में एक बड़ा फर्क होगा। तब कांग्रेस सत्ता में थी और उससे सवाल पूछे जा रहे थे। आज भाजपा सत्ता में है और उससे जवाब मांगा...
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