प्रदीप श्रीवास्तव, नई दिल्ली। तमाम दिक्कतों, सरकारी अवरोधों को गिनाने के साथ मणिशंकर अय्यर मानते हैं कि पंचायत राज व्यवस्था ने जमीनी स्तर पर लोकतांत्रिक प्रक्रिया से प्रशिक्षित लाखों लोगों की एक फौज खड़ी की है। खासकर इससे महिलाओं को आगे लाने में काफी कामयाबी मिली है। पंचायती राज के जरिए जनता देश में 38 लाख प्रतिनिधि चुनती है। इसमें 14 लाख महिलाएं होती हैं। अय्यर के मुताबिक, पिछले 20...
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जीरो बजट में उगाएं 55 रुपये किलो वाला चावल
रांची के अनगड़ा प्रखंड के झिरकी गांव में पिछले साल पांच-छह किसानों ने मिलकर जैविक रीति से धान की खेती की. महज 20 किलो धान के बीज से खेती कर इन किसानों ने पांच क्विंटल धान उपजाया. इस खेती की विशेषता यह थी कि इसके जरिये झारखंड राज्य में पहली दफा प्रमाणित रूप से जैविक धान की खेती हुई और लोगों को इसका भरपूर लाभ मिला. किसानों ने इस खेती के जरिये...
More »मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट पर किसानों ने लगाया ग्रहण
अहमदाबाद। औद्योगिक विकास के रूप में गुजरात एक ओर देश के समक्ष मॉडल राज्य के रूप में उभर रहा है वहीं, दूसरी ओर खुद मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के धालेरा स्थित ड्रीम प्रोजेक्ट स्पेशियल इन्वेस्टमेंट रिजन के खिलाफ 44 गांवों के किसान लामबद्ध हो गए हैं। किसान कहते हैं जान दे देंगे लेकिन जमीन नहीं, पुरखों की जमीन में से एक इंच जमीन सरकार को नहीं देंगे, सरकार ने अपनी नीति...
More »माओवाद को लेकर मतिभ्रम- विनोद कुमार
जनसत्ता 31 मई, 2013: झारखंड, छत्तीसगढ़ सहित देश के वनक्षेत्र वाले इलाकों में माओवादी गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं। हाल में झारखंड से सटे छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की परिवर्तन रैली पर हमला कर माओवादियों ने तीन दर्जन लोगों को मार डाला। इस हमले में मारे जाने वाले कुछ सुरक्षाकर्मियों सहित कांग्रेसी नेता और कार्यकर्ता हैं। आजादी के साढ़े छह दशक बाद भी कांग्रेस और भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टियां अगर ‘विकास...
More »खुद लाना होगा खेतों तक पानी- पुष्यमित्र
झारखंड प्राकृतिक संसाधनों से भरा पूरा राज्य है. यहां बारिश भी भरपूर होती है और नदियां और दूसरे जल निकायों में पानी भी ठीक-ठाक रहता है. इसके बावजूद सरकारी आंकड़ों के मुताबिक रबी में कुल खेती योग्य रकबे के बीस फीसदी जमीन पर ही खेती हो पाती है. इसकी वजह है कि यहां की अधिकांश खेती मानसून पर निर्भर है और लोगों के पास दूसरी फसल लेने के लायक पानी...
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