जनसत्ता 8 नवंबर, 2012: बेचैनी हर किसी में है। आम आदमी की बेचैनी रोज-रोज की परेशानी से जूझते हुए पैदा हुई है। खास लोगों की बेचैनी सत्ता-सुख गंवाने के डर से उपजी है। विरोध में उठे हाथ गुस्से में हैं। गुस्सा जीने का हक मांग रहा है। सत्ता को यह बर्दाश्त नहीं है तो वह गुस्से में उठे हाथों को चिढ़ाने के लिए और ज्यादा गुस्सा दिलाने पर आमादा है। गुस्सा...
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मंत्रियों के गांवों में स्वास्थ्य सेवा लचर
राज्य सरकार के दो मंत्रियों गृह क्षेत्र के अस्पतालों की हालत खस्ता है. यहां चिकित्सक, कर्मचारी व संसाधनों का घोर अभाव है. सबसे बड़ी समस्या महिला चिकित्सकों की कमी है. मरीजों को आवश्यक दवा भी बाजार से खरीदनी पड़ती है. भवनों की हालत पूरी तरह जीर्ण-शीर्ण बनी हुई है. बेड का भी अभाव है. सफाई व्यवस्था की हालत भी दयनीय है. चिकित्साकर्मियों को आवास की भी सुविधा नहीं है. ।।ठाकुर संग्राम...
More »पेयजल का 74 फीसदी हिस्सा सीवर का पानी!
आगरा. आगरा और मथुरा के घरों में आ रहे पेयजल का 74 फीसदी हिस्सा सीवर है। इसे साफ कर ‘जहरीला’ पेयजल के रूप में परोसा जा रहा है। सिंचाई विभाग के रिकॉर्ड से चौंकाने वाली बात सामने आई है। रिकॉर्ड के मुताबिक पिछले सप्ताह यमुना में दिल्ली चला 101 क्यूसेक पानी मथुरा के...
More »गुजरात के विकास का सच
जनसत्ता 6 नवंबर, 2012: अमिताभ बच्चन जब भी रेडियो और टेलीविजन पर एक विज्ञापन ‘खुशबू गुजरात की’ करते हैं तो उनकी दिलकश आवाज और लहजे से एक बार तो मन करता है कि ‘गुजरात-2002’ को भूल कर एक साधारण पर्यटक की तरह गुजरात घूमा जाए। नरेंद्र मोदी ने, विशेषकर 2002 के बाद, मीडिया में अपनी और गुजरात की छवि सुधारने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। दरअसल, 2002 के दंगों के एक वर्ष बाद...
More »हर 20 सेकेंड में मर जा रहा एक बच्चा, जानिये इस बीमारी के खतरे!
रांची. दुनिया में निमोनिया से प्रत्येक 20 सेकेंड में एक बच्चे की मौत होती है। इसका प्रमुख कारण है पीडि़त बच्चों के साथ घर में लापरवाही। जब बच्चा बीमार पड़ता है, तो लोग खुद से इलाज शुरू कर देते हैं और जब डॉक्टर तक पहुंचते हैं तब देर हो चुकी होती है। इसलिए जब भी सरदी, खांसी, सांस तेज चलना, छाती से घर्र घरघराहट की आवाज आती तो डॉक्टर से मिलें। आज...
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