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लावारिस बचपन को बचाने की कोशिश- राजीव चौबे

हमारे देश में कई जगहों पर आज भी बेटियों को उपेक्षित जिंदगी जीनी पड़ती है. कहीं उन्हें जन्म लेने से पहले गर्भ में ही मार डाला जाता है, तो कहीं जन्म लेते ही भगवान भरोसे लावारिस छोड़ दिया जाता है. लेकिन तमिलनाडु सरकार की एक योजना के तहत उपेक्षित कन्या शिशुओं को एक बेहतर जिंदगी मयस्सर करायी जा रही है. राजीव चौबे तमिल नाडु के नामक्कल जिले में स्थित अन्नाई मथाम्मल शीला...

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बिहार : सिगरेट-बीड़ी छोड़ सभी तंबाकू उत्पादों पर रोक

पटना : बिहार में सिगरेट, बीड़ी व खैनी ( बिना पैकेटवाली) छोड़ कर सभी तरह के तंबाकू उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. शुक्रवार को सुबह मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने गांधी मैदान में आयोजित तंबाकू निषेध शपथ ग्रहण समारोह का उद्घाटन करते हुए इसकी घोषणा की और शाम में खाद्य सुरक्षा आयुक्त सह स्वास्थ्य विभाग के सचिव आनंद किशोर ने इस आशय का आदेश जारी कर...

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2 महीने पहले पता चल जाएगा कम हो रहा बच्चे का वजन

ग्वालियर (ब्यूरो)। आंगनवाड़ी आने वाले यदि किसी भी बच्चे का वजन कम होता है या वह कुपोषण का शिकार हो रहा है तो इसकी जानकारी अब अधिकारियों तक तत्काल पहुंचेगी। ग्वालियर संभाग में महिला एवं बाल विकास विभाग ने एक ऐसा सॉफ्वेयर तैयार किया है, जिसमें ऐसे बच्चों की जानकारी ब्लॉक स्तर पर फीड की जाएगी। सॉफ्टवेयर की मदद से किसी भी आंगनवाड़ी के बच्चे का वजन कम होता है या...

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आज भी मजबूर हैं बच्चे

बाल श्रम के क्षेत्र में काम करने वाले कैलाश सत्यार्थी को नोबेल पुरस्कार मिलना देश के लिए गौरव की बात है। पर यह सवाल आज भी उतनी ही शिद्दत से हमारे सामने है कि कब हमारे देश से बाल श्रमिकों का उन्मूलन होगा। हाल ही में राजस्थान की राजधानी जयपुर के एक चूड़ी कारखाने से बिहार के 140 बाल मजदूरों को मुक्त कराया गया। यह बताता है कि बाल...

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प्रभावी कानून के होते क्यों नहीं रोक पाते बाल श्रम- मुनीश रायजादा

हाल ही में कैलाश सत्यार्थी को शांति का नोबेल पुरस्कार दिए जाने से भारतीय समाज में पसरी बाल श्रम की बुराई दुनिया भर में उजागर हुई है। बारह साल पहले जब मैं भारत से अमेरिका आया था, तो यहां बाल श्रमिकों की अनुपस्थिति ने मेरा ध्यान बरबस आकर्षित किया था। भारत में हम ढाबों, रेस्तरां, बाजारों व होटलों में अक्सर बच्चों को काम करते देखते हैं। ये दृश्य हम में से...

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