केंद्र की एनडीए सरकार ने अगर समय रहते यूरिया आयात का फैसला ले लिया होता तो किसानों को यूरिया उपलब्धता का संकट नहीं झेलना पड़ता। दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है जब देश में किसानों को रबी सीजन में यूरिया की उपलब्धता संकट का सामना करने के साथ ब्लैक में यूरिया खऱीदना पड़ा। बड़ी संख्या में देश के अधिकांश गेहूं उत्पादक किसानों को जरूरत के मुताबिक यूरिया नहीं मिल...
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विज्ञान से अछूते क्यों रहें हमारे गांव? - डॉ. अनिल प्रकाश जोशी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों गांवों की बदलती तस्वीर में वैज्ञानिकों की भूमिका पर टिप्पणी कर देश में संस्थानों के दायित्वों की तरफ अहम इशारा किया है। यह बात पूरी तरह सच है कि ये संस्थान इस देश को इंडिया बनाने में ज्यादा चिंतित रहे, न कि भारत। आज भी हमारे देश का बड़ा हिस्सा गांवों में ही बसता है। साढ़े छह लाख गांवों में देश की 70 प्रतिशत...
More »सालभर मिलने वाले भुट्टों के लिए प्रसिद्ध हुआ छत्तीसगढ़ का गांव
अनंगपाल दीक्षित, अंबिकापुर(निप्र)। छत्तीसगढ़ में कटनी-गुमला नेशनल हाइवे क्रमांक 43 पर स्थित सरगुजा जिले का सिलसिला गांव को यहां के मेहनतकश किसानों ने वर्ष भर स्वादिष्ट भुट्टे के लिए प्रसिद्घ कर दिया है। इस मार्ग पर आने-जाने वाले हर वाहन का पहिया सिलसिला में थम जाता हैं हर कोई यहां के किसानों की मेहनत से पैदा किए गए भुट्टे का स्वाद लेने लालायित रहता है। हर रोज इस छोटे से...
More »घर छोड़ने को मजबूर क्यों अन्नदाता? - देविंदर शर्मा
कृषि के संदर्भ में राष्ट्रीय नमूना सर्वे संगठन (एनएसएसओ) की हालिया रिपोर्ट साफ तौर पर बताती है कि कृषि न केवल संकट के दौर से गुजर रही है, बल्कि उसका तेजी से क्षरण भी हो रहा है। मैं चकित नहीं हूं। आखिरकार 1996 में ही विश्व बैंक ने भारतीय कृषि के पतन की दिशा बता दी थी। तब विश्व बैंक ने अनुमान लगाया था कि अगले बीस वर्षों में भारत...
More »जंगल से सीखें कुपोषण का इलाज- प्रताप सोमवंशी
ओडिशा देश के पिछड़े राज्यों में से एक है। इस राज्य के आदिवासी इलाके अकाल, भुखमरी, कुपोषण के विशेषण को अपनी पहचान के साथ ढोते रहते हैं। इन्हीं आदिवासी इलाकों का एक दूसरा सच भी जान लीजिए- लिविंग फार्म की ओर से दो जिलों के छह गांवों की एक अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक यहां खाने-पीने की 121 चीजें पाई जाती हैं। इनमें 30 किस्म के मशरूम, जिसे स्थानीय बोली में...
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