मोदी सरकार की ओर से पेश किया गया अंतरिम बजट वैसे तो समाज के हर वर्ग को साधने वाला है, लेकिन यह छोटे किसानों पर विशेष मेहरबान है. अंतरिम वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बजट में किसानों, मजदूरों और मध्य वर्ग को ध्यान में रखते हुए कई घोषणाओं का एलान किया. यह मौजूदा सरकार का अंतिम बजट था. वैसे तो अंतरिम बजट में अगली सरकार चुने जाने तक के खर्च...
More »SEARCH RESULT
बिहार: किसानों ने की यह गलती तो नहीं मिलेगे 6 हजार रुपये
राज्य के ऐसे किसान जिनके नाम एक फरवरी 2019 तक लैंड रिकॉर्ड में दर्ज हैं, उन्हें ही सालाना छह हजार नकद मिलेगे। इस तिथि के बाद अगर जमीन की खरीद-बिक्री के बाद जमीन दस्तावेजों में मालिकाना हक का बदलाव हुआ तो अगले पांच साल तक इस योजना का लाभ उन्हें नहीं मिलेगा। हालांकि, अगर अपनों के नाम पर जमीन हस्तांतरण में मालिकाना हक में बदलाव होता है तो वे इस...
More »आर्थिक संतुलन लेकिन नजर वोट पर-- कन्हैया सिंह
अर्थशास्त्र की भाषा में हम जिसे चुनावी बजट कहते हैं, वैसा यह बजट नहीं है। चुनावी बजट हम उसे कहते हैं, जिसमें सरकार तरह-तरह के मतदाताओं को तोहफे बांटते समय वित्तीय घाटे का ख्याल नहीं रखती। लेकिन इस बजट की खास बात यह है कि इसमें वित्तीय घाटे का पूरा ख्याल रखा गया और उसे एक सीमा से अधिक नहीं बढ़ने दिया गया है। अभी तक यह 3.3 फीसदी था,...
More »क्यों सरकारी योजनाओं के बावजूद झारखंड की आदिम जनजातियों को खाने की किल्लत से दो-चार होना पड़ता है- विवेक कुमार
झारखंड के लातेहार ज़िले के मनिका प्रखंड के सेवधरा गांव के अमरेश परहैया अपने परिवार के साथ में विभिन्न मूलभूत सुविधाओं से दूर अपना जीवन बिता रहे है. परिवार की आय का मुख्य स्रोत अकुशल मज़दूरी है. इनके पास खेती योग्य भूमि नही हैं. अमरेश को मुश्किल से एक महीने में 8 से 10 दिन ही 150 रुपये/प्रतिदिन की मज़दूरी दर पर काम मिल पाता है. अनाज की कमी और आर्थिक...
More »जब सोच बदलेगी तो खिलेंगी बेटियां-- रमा गौतम
हमारा समाज बेशक आज मार्डन हो गया है। समाज के लोग यही कहते है कि हमने आज तक बच्चों में कोई फर्क नहीं किया और हमारे लिए तो बेटा-बेटी एक समान हैं। मगर, वास्तविकता कुछ और ही होती है। लड़कों के मामले में हम बहुत खुले विचार रखते हैं। मगर, लड़की की बात आते ही कहीं न कहीं हमारी सोच थोड़ी सिकुड़ जाती है, इसी के चलते सृष्टि को आगे...
More »