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कैसे करें सूखे का सामना-- बाबा मायाराम

पिछले साल किसान सूखे की मार झेल चुके हैं। इस साल फिर सूखा पड़ गया। जबकि कुछ वर्षों से किसान निरंतर संकट में हैं। उनकी हालत पहले से ही खराब है। इस वर्ष सूखे ने उन्हें गहरे संकट में डाल दिया है। भारतीय मौसम विभाग की भविष्यवाणी सही निकली है। खुद कृषि मंत्रालय ने स्वीकार कर लिया है कि सामान्य से पंद्रह-सोलह फीसद कम बारिश हुई। इससे खरीफ की फसल...

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दिल्ली में भारी वाहनों पर पर्यावरण शुल्क लगेगा

दिल्ली में प्रवेश करने वाले सभी भारी व्यावसायिक वाहनों को अब टोल टैक्स के साथ पर्यावरण शुल्क भी जमा करना होगा। एनजीटी ने दिल्ली-एनसीआर में बदतर आबोहवा की गुणवत्ता में सुधार के मद्देनजर बुधवार को यह आदेश दिया। एनजीटी ने कहा, यह शुल्क एमसीडी वसूलेगी जो दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण कमेटी को दिया जाएगा। इस रकम का इस्तेमाल सफाई कार्यों के लिए होगा। एनजीटी ने कहा कि दिल्ली के विभिन्न प्रवेश द्वारों...

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ऐसे लौटा सकते हैं हिमालय का वैभव- डा अनिल जोशी

भारत दुनिया के गिने-चुने देशों में से एक है, जिसे प्राकृतिक संसाधनों का असली वरदान प्राप्त है। हिमालय से लेकर समुद्र तक और मरुस्थल से लेकर दलदली क्षेत्र तक यह देश विशिष्ट परिस्थितियों का धनी है। इन सभी में हिमालय को सबसे ऊंचा स्थान मात्र इसकी ऊंचाई के लिए नहीं बल्कि इसकी राष्ट्रसेवा के लिए प्राप्त है। हिमालय देश के नौ राज्यों और कुल भूमि के 17 प्रतिशत क्षेत्र में...

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‘सरकारें चाहती हैं कि संसाधनों पर जनता का कोई नियंत्रण न रहे’- मेधा पाटकर

सरदार सरोवर बांध का डूब क्षेत्र 214 किलोमीटर का है. इस परियोजना से लाखों लोग प्रभावित हो रहे हैं. इससे विस्थापित होने वालों में 50 प्रतिशत आदिवासी और 20 प्रतिशत से ज्यादा लोग गरीब और वंचित समुदायों के हैं. नर्मदा बचाओ आंदोलन की शुरुआत जनशक्ति के आधार पर हुई है. अब तक जो हासिल हुआ वह लंबे मैदानी संघर्ष और कानूनी लड़ाइयों की वजह से संभव हुआ है. इस आंदोलन...

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बंजर होते हिमालय की सुध- अनिल प्रकाश जोशी

हिमालय क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में आई त्रासदियां कई मौंजू सवाल खड़े कर रही हैं। उत्तराखंड का ही उदाहरण लीजिए। इस राज्य ने पिछले चार वर्षों में बहुत कुछ झेला है। करोड़ों रुपये की संपत्तियों का नुकसान और हजारों जानों का खो जाना क्या कोई सामान्य मुद्दा है? इन घटनाओं ने देश-दुनिया को झकझोरा। मगर जल्दी ही बिना दवा के ही घाव भर गए और फिर नए सिरे से...

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