रांची. 14 वें वित्त आयोग के समक्ष झारखंड का पक्ष रखते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा : खनिज संपदा से परिपूर्ण होने के बावजूद झारखंड के लोग गरीब हैं. पूरे देश का पोषक माना जानेवाले झारखंड का एक तरह से शोषण हो रहा है. राज्य की खनिज संपदा के बदले मिलनेवाली सालाना तीन हजार करोड़ की रॉयल्टी बिल्कुल नगण्य है. खनिजों के बदले झारखंड बहुत कुछ खो रहा है. हमारा पर्यावरण प्रदूषित...
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जब बालू की रॉयल्टी से सुधरी पंचायतों की सूरत
बालू खनन के जरिये पंचायतों को रायल्टी देने का प्रावधान पहले भी था. खनिज विभाग की नियमावली के तहत बालू घाटों का प्रबंधन पंचायतों के जरिये करवाने की व्यवस्था थी. मगर व्यावहारिक तौर पर इस प्रावधान का इस्तेमाल कम ही हो पाता था. उसी दौर में धनबाद के दस पंचायतों में ऐसा ही एक प्रयोग हुआ जिसमें पंचायतों के जरिये बालू घाटों का प्रबंधन किया गया और इस काम की वजह...
More »अभिशाप बना खनन-उद्योग- पी जोसेफ
राज्य के बंटवारे के बाद कहा जा रहा था कि बिहार राज्य में राजस्व का कोई स्रोत नहीं बचा. सभी खनन क्षेत्र झारखंड में जाने के कारण बिहार आर्थिक बदहाली में पहुंच जायेगा, पर ऐसा नहीं हुआ. बिहार में मात्र बालू एवं पत्थर से खनन क्षेत्र में लगभग झारखंड राज्य के जितना ही राजस्व आ रहे हैं. दूसरी तरफ, झारखंड की अर्थव्यवस्था की रीढ़ समझे जानेवाले इस उद्योग को उचित...
More »नमक सेजुड़े नए सवाल- अनिल चमड़िया
जनसत्ता 11 अक्तूबर, 2013 : कई गंभीर घटनाएं हो रही हैं, लेकिन लोगों का मानस इस तरह का बना दिया गया है कि वे किसी विषय के इतिहास को लेकर तो बोलते हैं, उसके मौजूदा हालात पर कुछ सुनने को तैयार नहीं होते। कई बार लगता है कि सुनने की शारीरिक प्रक्रिया को भी एक खास तरह के ढांचे में ढाल देने में बाजारवादी विचारों को कामयाबी मिली है। तात्कालिक संदर्भ...
More »खनन से किसका हित, मिल कर सोचें- ।।किशन पटनायक।।
बिक्री लायक पदार्थो को ‘पण्य’(माल) कहा जाता है और उनके संग्रह को ‘संपत्ति’. आधुनिक समाज में संपत्ति को मूल्यों (रुपयों) में आंका जाता है. मैं अगर करोड़पति हूं, तो मेरी संपत्ति का मूल्य करोड़ों रुपयों में है. दुनिया में जितनी भी संपत्ति है, उनके मूल में हैं प्राकृतिक संसाधन. मेहनत, बुद्धि और मशीनों के द्वारा प्राकृतिक संसाधनों से विभिन्न पण्य वस्तुओं को बनाया जाता है. मशीनें भी खनिज धातु यानी प्राकृतिक...
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