प्रसिद्ध राजनीतिशास्त्री क्रिस्टोफ जेफरलॉट ने अपने लेख ‘कास्ट एंड राइज ऑफ माजिर्नलाइज्ड ग्रुप्स' में राजनीतिक रूप से शक्तिशाली रही अभिजन जातियों के वर्चस्व को चुनौती देते हुए मध्यवर्ती जातियों के उभार को सत्ता के हस्तांतरण के तौर पर देखा है और इसे एक मूक क्रांति की संज्ञा दी है. लेकिन क्या यह मूक क्रांति वास्तव में अपने लक्ष्यों को लेकर आगे बढ़ रही है? क्या जाति आधारित राजनीति में साधन यानी...
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हिरासत में 12 की मौत, होगी कार्यवाही
लखनउ : पुलिस हिरासत में हुई 12 दलितों की मौत से चौकी इंचार्ज समेत 12 पुलिस कर्मियों के खिलाफ मड़िहान थाने में हत्या की प्राथमिकी दर्ज की गई. रामपुर (रेकसा) निवासी रघुनाथ का पुत्र महेश दस दिन पूर्व एक महिला के साथ कहीं चला गया था. इस दौरान महिला के परिवारवालों की तहरीर पर उसे महिला भगाने के आरोप में सोमवार को चौकी लाया गया. अपराह्न चार बजे चौकी परिसर में...
More »अब वार्ड सदस्य को भी चाहिए योजनाओं के कमीशन में हिस्सा : दयामनी
हमारे गांवों का कितना विकास हुआ है. क्या चुनौतियां हैं. विकास के मौजूदा मॉडल से आप कितनी सहमत हैं? मौजूदा विकास को दो-तीन तरह से देखना होगा. पहले समझना होगा कि विकास का मतलब क्या है. किस तरह का विकास होना है और किसका विकास होना है. आज सरकार की नजर में विकास का जो पैमाना है, जिसे मेनस्ट्रीम सोसाइटी विकास मानती है, और जो विकास हो रहा है क्या कल...
More »नमक में कुछ काला है- शिरीष खरे
गुजरात से काफी दूर स्थित राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश की सरकार गुजराती कंपनियों से काफी महंगा नमक खरीदती है. हाल ही में यह बात सामने आने के बाद प्रदेश का नागरिक आपूर्ति निगम सवालों के घेरे में है. शिरीष खरे की रिपोर्ट. नमक हरामी, नमक हलाली, जले पर नमक छिड़कना, नमक बजाना जैसी बातें आपने खूब कही और सुनी हैं. अब इसी तर्ज पर मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार...
More »वे आदिवासियों के हितैषी नहीं- विनोद कुमार
तरीके से फैलाई गई है कि माओवादी आदिवासियों के रहनुमा हैं। जल, जंगल और जमीन पर आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। इसी वजह से मेधा पाटकर, अरुंधति राय, स्वामी अग्निवेश जैसे सामाजिक कार्यकर्ता जब-तब माओवादियों के पक्ष में खड़े हो जाते हैं। लेकिन यह भ्रम है। यह इत्तिफाक है कि अपने देश का जो वनक्षेत्र है वही जनजातीय क्षेत्र भी है, और माओवादी छापामार युद्ध की अपनी...
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