देश भर की नदियों को जोड़ने की बात फिर तेज हो गई है। इसे समय की जरूरत बताते हुए कहा जा रहा है कि इससे देश की 90 फीसदी खेती योग्य जमीन को सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध हो सकेंगी। पिछली सरकार के समय यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में चला गया था। हालांकि यह भी सच है कि योजना आयोग इस पूरी योजना को अदूरदर्शी व अव्यावहारिक बता चुका है। पर्यावरण की...
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तमाम कोशिशें फेल, 2013 में सड़क दुर्घटना में 1.37 लाख लोगों की हुई मौत
नयी दिल्ली : सरकार ने सड़क दुर्घटना रोकने के तमाम प्रयास किये इसके बावजूद भी साल 2013 में 486,476 सड़क हादसे हुए जिनमें 137,572 व्यक्तियों की जान गई. सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री पोन राधाकृष्णन ने आज राज्यसभा को बताया कि मंत्रालय के परिवहन अनुसंधान पक्ष के वार्षिक प्रकाशन ‘‘भारत में सड़क दुर्घटना'' के अनुसार, वर्ष 2013 में हुए 486,476 सड़क हादसों में से सर्वाधिक 66,238...
More »सूचनाधिकार के रोड़े
जब देश में सूचना के अधिकार का कानून बना तो स्वाभाविक ही इसे पारदर्शिता सुनिश्चित करने के एक बड़े कदम के रूप में देखा गया। नागरिकों के सशक्तीकरण के नाते यह लोकतंत्र संवर्धन की दिशा में भी एक बड़ी पहल थी। इस कानून के चलते अनियमितता और भ्रष्टाचार के बहुत सारे मामले उजागर हुए। लेकिन नौ साल बाद सूचनाधिकार की स्थिति कई तरह से शोचनीय दिखाई देती है। इसकी राह...
More »आखिरी खाते की पहचान तक कालेधन वालों का पीछा करेंगे : जेटली
नयी दिल्ली : विदेशों में रखे कालेधन को तुरंत वापस लाने के वादे को पूरा नहीं करने को लेकर चौतरफा हमला झेल रही सरकार ने आज वादा किया कि वह आखिरी खाते की पहचान होने तक चैन से नहीं बैठेगी और कालाधन रखने वालों का पीछा करेगी. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज राज्य सभा में कहा कि एचएसबीसी, जिनीवा द्वारा उपलब्ध कराये गये 627 नामों की सूची में से...
More »आधुनिक समय की महामारी- रिदिमा कौल
देश में सड़क दुर्घटनाओं में हर साल लाख लोगों की मौत हो जाती है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि ‘गोल्डन अवर' (दुर्घटना के बाद के एक घंटे) में उन्हें चिकित्सकीय मदद नहीं मिल पाती, साथ में पेचीदा कानून की वजह से कोई उन्हें बचाने की पहल भी नहीं करता। ऐसे में उच्चतम न्यायालय द्वारा हाल ही में जारी किए गए दिशा-निर्देश अच्छा कदम साबित हो सकते हैं। मारे देश...
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