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राेजगार मिले तो पलायन रुके-- विवेक त्रिपाठी

प्रत्येक व्यक्ति को अपना मकान सुखद अनुभूति देने वाला होता है। धनी वर्ग के सामने अपना मकान बनाना किसी समस्या की भांति नहीं होता क्योंकि उसके पास धन की कमी नहीं होती। मध्य वर्ग अपनी जीवन भर की कमाई से आशियाना बनाने का प्रयास करता है, लेकिन निम्न वर्ग के लिए यह सपना ही रहता है। आज तक इस सपने में सिर्फ राजनीति ही होती रही है। इसके लिए किसी...

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असल मुद्दों से डगमगाते रहे पूरे साल - मृणाल पांडे

साल 2015 विदा हो रहा है। इस साल भी हमारे नेता, अभिनेता, प्रतिपक्ष और समाज के पुरोधा असली मुद्दों पर कम, प्रतीकों के गिर्द ही अपनी नीतियां और रणनीतियां गढ़ते, झगड़ते रहे। ध्यान का केंद्र चाहे असेंबली चुनाव हों, या महिला सुरक्षा, बिगड़ते पर्यावरण से जुडे बाढ़-सुखाड़ हों अथवा सार्वजनिक परिवहन या विदेश नीति, जिस तरह उन पर संसद के भीतर-बाहर और टीवी पर्दों पर टकराव हुए, तलवारें चलीं, लगा...

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16 बेमिसाल गांवः तस्वीर और तकदीर बदली इन गांवों ने

असली भारत गांव में बसता है। देश और दुनिया में भले ही चांद पर जाने की बात हो लेकिन गांव का महत्‍व आज भी कायम है। पेश है देश के 16 ऐसे अनोखे गांव की कहानी जो इस दौर में भी मिसाल बने हुए हैं। कहीं किसी एक ही गांव ने देश को दिए है 47 आईएएस अधिकारी तो कोई गांव पूरी दुनिया को साम्‍प्रदायिक सौहार्द का पाठ पढ़ा रहा...

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कड़े कानून के साथ सुधार पर हो जोर - क्षमा शर्मा

जिस वक्त जुवेनाइल जस्टिस एक्ट में संशोधन की बहस राज्यसभा में चल रही थी, उस समय निर्भया के माता-पिता भी दर्शक दीर्घा में बैठे थे। राज्यसभा में यह बिल छह महीने से लटका था, लेकिन जैसे ही इस किशोर अपराधी के छूटने की खबरें आने लगीं, मीडिया, गैरसरकारी संगठनों और राजनीतिक दलों के लोग इस किशोर के सुधारगृह से बाहर आने, न आने पर बहस करने लगे। बहस का मूल...

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न स्टाफ, न मशीनें, कैसे मिले इलाज

पटना : राजधानी के बेहतर सरकारी अस्पतालों में मशहूर गार्डिनर अस्पताल में इन दिनों स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हो गयी हैं. यह स्थिति तब है, जब इसे सरकार ने नेशनल क्वालिटी और स्टैंडर्स अभियान के तहत चुना है. लेकिन, यहां इलाज कराने के लिए मरीजों को घंटों इंतजार करना पड़ता है या फिर आधे-अधूरे इलाज से ही काम चलाना पड़ता है. दवा, डॉक्टर और आधुनिक मशीनों की कमी के चलते...

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