SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 2123

श्वेत क्रांति के जनक वर्गीज कुरियन का निधन

आणंद (गुजरात) : दूध की कमी से जूझने वाले देश से भारत को दुनिया का सर्वाधिक दुग्ध उत्पादक देश बनाने वाले ‘श्वेत क्रांति’ के जनक डा. वर्गीज कुरियन का पडोसी नाडियाड के मुलजीभाई पटेल यूरोलॉजिकल अस्पताल में संक्षिप्त बीमारी के बाद आज तडके निधन हो गया. वह 90 साल के थे और उनके परिवार में पत्नी मॉली कुरियन और पुत्री निर्मला हैं. गुजरात कोआपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (जीसीएमएमएफ) अधिकारियों ने बताया,...

More »

एक मूर्खता से उठी आंधी- एम जे अकबर

सार्वजनिक जीवन में कौन-सा अपराध बड़ा है, भ्रष्टाचार या मूर्खता? इस सवाल का जवाब देने के लिए आप समय ले सकते हैं. अगर भ्रष्टाचार राजनीतिक मृत्युदंड होता, तो यूपीए कैबिनेट का अधिकांश हिस्सा 2009 के चुनावों में जीत हासिल नहीं करता. संभवत: भ्रष्टाचार का आकलन उसके फैलाव से किया जाता है. जब भ्रष्टाचार का स्नेहक बड़ी लूट में तब्दील हो जाता है, तब वोटर तय करता है कि अब बहुत हो...

More »

डेढ़ दशक में बंद हो गए 700 उद्योग, 40 हजार हुए बेरोजगार- रवीन्द्र झारखरिया की रिपोर्ट

ग्वालियर। मध्यप्रदेश में पूंजी निवेश और बेहतर औद्योगिक वातावरण देने के सरकारी दावे कम से कम ग्वालियर-चंबल संभाग में तो बेमानी साबित होते दिख रहे हैं। यहां के औद्योगिक क्षेत्र ग्वालियर, बानमोर और मालनपुर में बीते डेढ़ दशक में छोटे-बड़े 700 उद्योग बंद हो गए। नतीजतन इनमें काम करने वाले 40 हजार लोग बेरोजगार हो गए। एक आदमी के साथ अगर पांच सदस्यों का परिवार जुड़ा हो, तो सीधे तौर पर...

More »

निकाले जाने की घोषणा से श्रमिकों में हड़कंप

गुड़गांव. मारुति सुजूकी कंपनी प्रबंधन द्वारा मानेसर प्लांट के 546 श्रमिकों को निकाले जाने की घोषणा से श्रमिक वर्ग में हड़कंप मच गया है। निकाले गए श्रमिकों के लिए जीने-मरने का सवाल खड़ा हो गया है। कई श्रमिकों ने आत्महत्या के लिए मजबूर होने की बात की है। कंपनी के इस फैसले के खिलाफ ट्रेड यूनियनों ने शुक्रवार को शहर में रैली निकालने की तैयारी की है। कंपनी में बीते सात...

More »

पहाड़ से चिट्ठी- पंकज पुष्कर

जनसत्ता 11 अगस्त, 2012: कुदरत हमें थिरता और नर्तन दोनों सिखाती है। हर्ष और विषाद के बार-बार आने वाले ऐसे ही अवसरों के बीच पहाड़ों का स्वभाव बना है। उत्तरकाशी के उफनते बादल पहाड़ और कुदरत के रिश्तों की जटिलता की ओर ध्यान दिलाते हैं। भला ऐसा कैसे है कि आपदाओं के बीच भी पर्वतीय जीवन प्रकृति-प्रेम का सहजीवन है। बारिश को ही लें। यह मन में हिलोर पैदा करती है। लेकिन...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close