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हर भूमिहीन को जमीन!

जहां 2009 के लोकसभा चुनाव में मनरेगा योजना ने यूपीए-1 की किस्मत बदल डाली, अब यूपीए-2 की नजर एक ऐसा ही महत्वाकांक्षी कानून लाने पर है. कांग्रेस नीत यूपीए सरकार भूमि अधिकार कानून के जरिए 2009 के नतीजों को दोहराने की तैयारी कर रही है. 2014 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर यूपीए ने महत्वाकांक्षी भूमि सुधार कानून का मसौदा तैयार किया है जिसका मकसद गांवों में रहने वाले भूमिहीन परिवारों को जमीन मुहैया कराना...

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गोवा में किसान बने उद्यमी, मॉल को दे रहे टक्कर

पणजी (भाषा)। गोवा में धान की खेती की जमीन सड़क बनाने के लिए अधिगृहीत किए जाने के बाद यहां के किसानों को समझ में नहीं आ रहा था कि वे जीविकोपार्जन के लिए क्या करें। लेकिन समय बीतते किसानों ने बाकी बची जमीन पर सब्जी खेती करनी शुरू कर दी और इसे खुद ही बेचना शुरू कर दिया और धीरे धीरे उनका यह व्यवसाय रंग लाने लगा। आज यहां के किसान...

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खाद्य सुरक्षा बिल- कुछ बुनियादी बातें

संसद के मौजूदा(बजट) सत्र में आखिरकार खाद्य सुरक्षा बिल पर चर्चा होने जा रही है। यह बिल यूपीए सरकार ने साल 2011 में लोकसभा में पेश किया था। आहार और बाल-स्वास्थ्य के मुद्दे पर काम करने वाले विभिन्न संगठनों, स्वयंसेवी संस्थाओं और राज्यों द्वारा प्रस्तुत विविध आलोचनाओं के आलोक में इस बिल में कई और बदलाव किए जाने की संभावना है।यहां प्रस्तुत सामग्री में कोशिश की गई है कि भोजन का अधिकार बिल के बारे में जानकारी क्या-क्यों-कैसे-कौन...

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महिला सशक्तीकरण के वास्ते- केपी सिंह

जनसत्ता 8 मार्च, 2013: अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर महिला सशक्तीकरण की बात करना फैशन नहीं, जरूरत है। इक्कीसवीं शताब्दी में भी महिलाएं संविधान-प्रदत्त मूलभूत अधिकारों को पाने के लिए जद्दोजहद कर रही हैं। यह जद्दोजहद नई नहीं, सहस्राब्दियों पुरानी है। मानव-सभ्यता जब पृथ्वी पर पनपने लगी तो पुरुष ने अपनी शारीरिक सामर्थ्य का फायदा उठाते हुए पहला अधिकार स्त्री पर जताया था। महिलाओं के शोषण की कहानी वहीं से शुरू हो...

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अब रबर स्टांप नहीं रहीं महिला जनप्रतिनिधि

बिहार में पंचायतों में 50 फीसदी आरक्षण के बाद विभित्र पदों पर महिलाएं जीत कर आयीं, तो यह कहा जा रहा था कि महिलाएं पंचायत नहीं चला सकती हैं. वह तो सिर्फ रबर स्टांप रहेंगी. काम तो उनके पति, बेटा, पिता, भाई या कोई पुरुष रिश्तेदार ही करेंगे, लेकिन महिला जनप्रतिनिधियों ने अपने हौसले नहीं खोये. पूर्व की महिला जनप्रप्रतिनिधि पुन: पंचायतों में चुन कर आने के बाद पांच सालों में सीखी गयी...

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