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निजीकरण के लिए बैंक ऑफ इंडिया जैसे चार बैंकों का चयन: रिपोर्ट

-द वायर, केंद्र सरकार ने मध्यम आकार के सरकार संचालित चार बैंकों का निजीकरकरने के लिए चयन किया है. तीन सरकारी सूत्रों ने इसकी जानकारी दी. सरकार का यह कदम उसकी उस बड़ी योजना का हिस्सा है जिसके तहत वह सरकारी संपत्तियों को बेचकर राजस्व बढ़ाने की तैयारी कर रही है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, सरकार की भारी-भरकम हिस्सेदारी वाले इन बैंकों में सैंकड़ों-हजारों कर्मचारी काम करते हैं और बैंकिंग सेक्टर...

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सड़क दुर्घटनाओं के चलते देश की जीडीपी के 3 फीसद से ज्यादा का नुकसान

-इंडिया टूडे, भारत में दुनिया के सिर्फ एक फीसद वाहन हैं पर सड़कों पर वाहन दुर्घटनाओं के चलते विश्वभर में होने वाली मौतों में 11 प्रतिशत मौत भारत में होती हैं. विश्व बैंक की ओर से जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सालाना करीब साढ़े चार लाख सड़क दुर्घटनाएं होती हैं, जिनमें डेढ़ लाख लोगों की मौत होती है. रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में सड़क दुर्घटनाओं के चलते 5.96 लाख...

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दिशा रवि की गिरफ़्तारी हम सबके मुंह पर इस सत्ता का बूट है…

-द वायर, दिशा रवि की गिरफ्तारी हम सबके मुंह पर इस सत्ता का बूट है. हमें बतलाया जा रहा है कि इस मुल्क में किसी की कोई कीमत नहीं, किसी का लिहाज नहीं, कोई हद नहीं जो यह सत्ता लांघने में हिचक महसूस करे. यह सत्ता अपने समर्थकों को रोज़ एक मांस का टुकड़ा फेंक रही है. उनके मुंह में खून जो लग गया है! आज वह दिशा रवि है, कल मुनव्वर फ़ारूकी था, कल कोई...

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सर्दी हो या गर्मी, उत्तर प्रदेश में किसानों की एक बड़ी संख्या अब खेतों में ही रात बिताती है

-सत्याग्रह, उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के कांट कस्बे में एक खेत में दस से पंद्रह गायें अचानक घुसती हैं. इस खेत से करीब 400 मीटर दूर खड़े अखिल कश्यप तुरंत फोन निकालकर किसी को इसकी सूचना देते हैं. पांच मिनट के अंदर एक सज्जन बाइक से उस खेत में आते हैं और इन गायों को भगाते हैं. जिस गेहूं के खेत में गायें घुसी थीं, यह कस्बे के ही विनोद...

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पंचतत्व: विकास को संतुलन चाहिए और चैनलों को विज्ञान रिपोर्टर वरना ग्लेशियर ‘टूटते’ रहेंगे!

-जनपथ, इंसान होने के नाते हम सबकी कुछ ज़रूरतें हैं, जिन्हें पूरा किया जाना है. आखिर, उत्तराखंड, हिमाचल और ओडिशा की जनता को भी वही सुख-साधन क्यों नहीं चाहिए जो दिल्ली में रहने वालों को मुहैया हैं? विकास नाम के लुभावने वादे में निचाट गरीबी से निपटने की चुनौती छिपी है और इसमें संसाधनों के अंधाधुंध दोहन का खतरा भी है.  संतुलन साधा जा सकता है, बस नजरिया सही होना चाहिए. न...

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