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न्यूज क्लिपिंग्स् | सर्दी हो या गर्मी, उत्तर प्रदेश में किसानों की एक बड़ी संख्या अब खेतों में ही रात बिताती है

सर्दी हो या गर्मी, उत्तर प्रदेश में किसानों की एक बड़ी संख्या अब खेतों में ही रात बिताती है

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published Published on Feb 14, 2021   modified Modified on Feb 16, 2021

-सत्याग्रह,

उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले के कांट कस्बे में एक खेत में दस से पंद्रह गायें अचानक घुसती हैं. इस खेत से करीब 400 मीटर दूर खड़े अखिल कश्यप तुरंत फोन निकालकर किसी को इसकी सूचना देते हैं. पांच मिनट के अंदर एक सज्जन बाइक से उस खेत में आते हैं और इन गायों को भगाते हैं. जिस गेहूं के खेत में गायें घुसी थीं, यह कस्बे के ही विनोद त्रिगुणायत का खेत है और जो सज्जन गायों को भगाने आये थे वे विनोद के बेटे वीरू त्रिगुणायत हैं. गायों को भागने के बाद वीरू कहते हैं, ‘हम लोग तो दुखी हो गए हैं, इन गायों को भगाते-भगाते, सुबह से खेत पर ही बैठा था, अभी कुछ देर पहले जब ढाई बजे तो मैंने सोचा घर जाकर खाना खा आऊं. खाना खाकर उठा ही था कि अखिल का फोन आ गया… बस दौड़ा चला आया.’ वीरू का यह खेत चार बीघा में है. ‘चार बीघा के लिए दिन-रात का सुकून छिन गया है, पूरे खेत में तार लगाए हैं, लेकिन ये बड़े-बड़े बछड़े (गौवंश) कहीं न कहीं से घुस ही जाते हैं. एक घुसता है तो उसके पीछे सभी जानवर चले आते हैं.’ वीरू कहते हैं.

वीरू त्रिगुणायत के खेत के पास ही 55 वर्षीय देव नारायण राठौर का खेत है. देव नारायण भी छुट्टा गायों से काफी परेशान हैं. गायों पर चर्चा होती देख वे कहते हैं, ‘बीते तीन-चार सालों से यह समस्या इतनी बढ़ गयी है कि हम लोगों को खेत के अलावा कुछ दिखता ही नहीं. पहले हम लोग जुताई, बुवाई, फसल को पानी देने और कटाई के समय ही खेत पर आया करते थे, इसके अलावा हम लोगों को खेत से कोई मतलब नहीं था, लेकिन अब हर समय खेत की ही चिंता सताती है. यहीं बैठना पड़ता है.’ देवनारायण सत्याग्रह से बातचीत में आगे कहते हैं, ‘आप रात में आना फिर खेतों का नजारा देखना, इतनी कड़ाके की ठंड में आपको इन खेतों में शोर सुनाई देगा, चारों तरफ टॉर्च जलाते हुए लोग दिखेंगे.’ कांट कस्बे के कई और किसानों भी यही बताते हैं कि बीते तीन सालों से यह सिलसिला चल रहा है. कस्बे के एक किसान अनिमेष शर्मा कहते हैं, ‘मोहल्ले के सभी किसान रात को खाना खाने के बाद इकट्ठा होकर खेतों पर पहुंच जाते हैं और एक-दो बजे तक वहीं बैठते हैं… इस ठंड में आग ही हमारा सबसे बड़ा सहारा बनती है.’

वीरू त्रिगुणायत को फोन करने वाले अखिल कश्यप भी गायों से फसल को बचाने के लिए अपने खेत की रखवाली करते हैं. सत्याग्रह से बातचीत में अखिल का कहना था, ‘मैं और मेरे भाई खेत पर ड्यूटी देते हैं, जब वो आते हैं, तब मैं घर जाता हूं, किसी न किसी का खेत पर बना रहना जरूरी है.’ अखिल ग्यारहवीं कक्षा में हैं और ज्यादातर अपनी किताबों के साथ ही खेत पर आते हैं.’

पूरी रपट पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 


अभय शर्मा, https://satyagrah.scroll.in/article/136174/uttar-pradesh-kisaan-gaay


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