आर्थिक मोर्चे पर भारत के लिए बुरी ख़बरों के आने का सिलसिला थम नहीं रहा. चालू वित्त वर्ष में कई सेक्टर में जारी गिरावट के बाद विश्व बैंक ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर का अनुमान छह फ़ीसदी से नीचे कर दिया है. चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में विकास वृद्धि पाँच प्रतिशत पहुंचने और ऑटो सेक्टर में भारी सुस्ती के बाद सरकार ने कुछ उपायो की घोषणा की. सरकार...
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बीमा संबंधी विज्ञापन गुमराह करने वाले नहीं होने चाहिए: इरडा
नई दिल्ली: भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) ने बीमा कंपनियों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि बीमा उत्पादों से संबंधित विज्ञापन स्पष्ट होने चाहिए और इनसे संभावित ग्राहकों के मन में ‘काल्पनिक' सुरक्षा की भावना पैदा नहीं होनी चाहिए. नियामक ने बीमा विज्ञापनों पर सर्कुलर जारी किया है. इसमें बताया गया है कि बीमा कंपनियों को क्या करना चाहिए या क्या नहीं करना चाहिए. सर्कुलर में कहा...
More »गरीबों के जीवन का अर्थशास्त्र-- नीरंजन राजाध्यक्ष
सड़क पर डोसा बेचने वाली महिला के पास एक भूखे अर्थशास्त्री के जाने का जिक्र भला क्यों होगा, जब तक कि वह अर्थशास्त्री अभिजीत वी बनर्जी न हों। ऐसा आंध्र प्रदेश के छोटे से शहर गुंटूर के एक गरीब इलाके में हुआ था। असल में, सुबह के करीब नौ बजे मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) का यह 49 वर्षीय प्रोफेसर नाश्ते के लिए डोसा खरीदने गया था। सड़क पर ताजा...
More »वैश्विक आर्थिक सुस्ती का कितना असर हुआ है देश के आयात-निर्यात पर, पढ़िए इस एलर्ट में..
घरेलू स्तर पर मांग में आयी कमी नहीं बल्कि अपने देश की अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर व्याप्त आर्थिक सुस्ती की चपेट में है- क्या ऐसा कहना उचित है? अगर ये बात ठीक है तो फिर व्यापार से संबंधित आंकड़ों में इसकी झलक मिलनी चाहिए. ऐसी स्थिति में हमारे निर्यात में इजाफा और आयात में कमी परिलक्षित होनी चाहिए. लेकिन आंकड़ों से ऐसा नहीं झलकता- आंकड़ों से एक मिली-जुली तस्वीर झांकती...
More »महिला सशक्तिकरण पर भारतीय जनता पार्टी के खाने के दांत अलग हैं और दिखाने के अलग--- अनुमा आचार्य
देश में, खासतौर पर उत्तर प्रदेश में कुछ दिनों पहले हुई और मुख्यधारा के मीडिया से जानबूझकर अनदेखा किए जाने वाली घटनाओं के बारे में सोचते हुए एक विचार बड़ी शिद्दत से मन में आया कि जिनकी बेटी, पत्नी या बहन न हों, उनमें संवेदनशीलता की कमी जाहिराना तौर पर भी दिख ही जाती है. इस सोच के पीछे कुछ और भी तथ्य हैं, जिन पर ध्यान देने से बात...
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