धरती को मेहनत से सींचकर एक-एक दाना उगाने वाले किसान बरसात में गेहूं को भीगते हुए देखकर रुआसा हो जाते हैं। उचित भडारण न होने से जुंडला में हजारों क्विंटल गेहूं बरसात में भीग गया, तो इंद्री में हजारों क्विंटल गेहूं में सुरसुरी लग गई। राहत की बात यह है कि असंध, घरौंडा, करनाल, नीलोखेड़ी आदि छोटी मंडियों से खरीदे गए गेहूं का उचित भंडारण होने से बरसात की मार...
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गन्ना के साथ दलहन,आलू व धनिया की खेती
गन्ना की खेती को लाभकारी बनाने के लिए गन्ना के साथ दलहन,आलू व धनिया की खेती के लिए किसानों को अनुदान मिलेगा। अनुदान मद में 25.73 करोड़ व्यय होगा। राज्य सरकार की योजना पांच वषरें में सभी चीनी मिल परिसर में उद्योग स्थापित करने की है। इसका रोडमैप कृषि कैबिनेट के तहत तैयार किया गया है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत पहली बार गन्ना के...
More »मानवाधिकार संगठन की नई रिपोर्ट - किसान-आत्महत्या के कुछ अनदेखे पहलू
क्या सरकारी प्रयासों के बावजूद किसानों की आत्महत्या के ना थमने वाले सिलसिले का एक पहलू दलित और महिला अधिकारों की अनदेखी से भी जुड़ता है। सेंटर फॉर ह्यूमन राइटस् एंड ग्लोबल जस्टिस(सीएचआरजीजे) द्वारा जारी एक नई रिपोर्ट की मानें तो- हां। सीएचआरजीजे और द इंटरनेशनल ह्यूमन राइटस् क्लीनिक की तरफ से जारी इस रिपोर्ट में आशंका व्यक्त की गई है कि खेतिहर संकट से जूझ रहे भारत में किसानों की आत्महत्या की...
More »बालू में सोना उपजा रहे किसान
मेहनत हमेशा रंग लाती है. और जब मौसम हो फ़लों का तब तो किसानों की तकदीर ही खुल जाती है और उनके हाथ फ़ल नहीं सोना उगाने लगते हैं. जयनगर : सीमावर्ती जयनगर स्थित कमला नदी में इन दिनों किसानों के द्वारा सोना उपजाया जा रहा है. प्रखंड के जयनगर, बेला, डोरवार, कोरहिया, गोबराही सहित कई अन्य क्षेत्रों के किसानों के द्वारा 1000 एकड़ से अधिक कमला नदी के बालू पर गरमी...
More »लोकतंत्र का लट्ठ- रेयाज उल हक (तहलका)
भट्टा-पारसौल में जो हुआ और जिस अंदाज में हुआ उससे साफ है कि उत्तर प्रदेश सरकार को असहमति और विरोध के लोकतांत्रिक अधिकार की जरा भी परवाह नहीं. रेयाज उल हक की रिपोर्ट अगर यह लोकतंत्र है तो भट्टा-पारसौल के लोगों ने इसका मतलब देखा और महसूस किया है. देश की संसद से बमुश्किल 70 किलोमीटर दूर बसे 6000 जनों की आबादी वाले इस गांव ने लोकतंत्र को गोलियों के रूप...
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