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महामारी के दौरान हमारी सरकार और पुलिसिया बर्ताव

-न्यूजलॉन्ड्री, किसी बड़ी महामारी के बीत जाने के बाद, उससे जुड़े कुछ दृश्य और घटनाएं लोक-चेतना में स्थाई निवास बुन लेते हैं. कोरोना की दो लहरों के दौरान हुई मीडिया कवरेज में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी, जलती चिताएं, ऑक्सीजन सिलेंडर भरवाने के लिए भागते लोग, स्वास्थ्य व्यवस्थाएं, लोगों के साथ पुलिसिया बर्ताव और सरकारी विज्ञापनों की तस्वीरों और खबरों ने हमारे जेहन में स्थाई जगहें बनाई. भविष्य में जब भी...

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भारत में कोविड की पहली लहर की तुलना में दूसरी में गर्भपात तीन गुना बढ़ा, ICMR शोध ने डेल्टा वैरिएंट को बताया वजह

-द प्रिंट, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की तरफ से मुंबई में किया गया एक छोटा-सा अध्ययन बताता है कि भारत में दूसरी कोविड लहर के दौरान गर्भपात तीन गुना बढ़ गया है, और गर्भस्थ शिशुओं की मौत का एक बड़ा कारण कोरोनावायरस का डेल्टा वैरिएंट हो सकता है. अध्ययन में गर्भपात के लिए ‘सहज गर्भपात शब्द का उपयोग किया गया है, जिसका मतलब है गर्भधारण के 20 सप्ताह से पहले गर्भपात...

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इस सदी में कितने गर्म होंगे महासागर और कितना बढ़ेगा जल स्तर: अध्ययन

-डाउन टू अर्थ, महासागर मानवजनित जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न अतिरिक्त गर्मी को अवशोषित करते हैं। इस प्रक्रिया के चलते दुनिया भर में महासागरों का तापमान लोगों और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र को प्रभावित करता है साथ ही समुद्र के जल स्तर में वृद्धि होती है। यह जानना कि इस सदी के दौरान समुद्र का स्तर कितना बढ़ेगा, यह भविष्य में होने वाले जलवायु परिवर्तन पर हमारी समझ के लिए महत्वपूर्ण है। लेकिन...

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बिहार में जलवायु संकट से बढ़े हीट वेव से निपटने का बना एक्शन प्लान

-वाटर पोर्टल, बिहार में जलवायु संकट के कारण बढ़ रहे हीट वेव और वज्रपात को रोकने और उसका आकलन करने के लिए ‘मीडिया कलेक्टिव फॉर क्लाइमेट इन बिहार’ ने  गैर सरकारी संस्था ‘असर’ के साथ मिलकर एक  मीडिया रिपोर्ट जारी की है।  इस 67 पन्ने की रिपोर्ट में  जहां एक तरफ यह बताया गया है कि इस अध्ययन की  जरूरत क्यों पड़ी तो वही दूसरी और जमीनी चुनौतियों पर भी चिंतन किया...

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शाकाहारवाद महज़ आहार का मामला नहीं है…

-द वायर, ‘भविष्य की खोज’ – यही शीर्षक था उस दार्शनिक व्याख्यान का, जिसे जाने-माने ब्रिटिश लेखक जनाब एचजी वेल्स ने लंदन के रॉयल इंस्टिट्यूशन के सामने दिया था. (1902) आज के वक्त़ भले ही दुनिया उन्हें ज्यूल वर्न्स के साथ साइंस फिक्शन के जन्मदाता को तौर पर अधिक जानती हो, लेकिन अपने जमाने में वह प्रगतिशील सामाजिक आलोचक के तौर पर मशहूर थे और उन्होंने कई विधाओं में लेखन किया...

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