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गर्मियों तक ‘दुनिया का पेट भरने’ के इच्छुक भारत को सर्दियों में आयात करना पड़ सकता है गेहूं

दिप्रिंट ,08 अगस्त  गेहूं के बढ़ते थोक और उपभोक्ता मूल्यों को देखते हुए भारत को कुछ महीनों में इस मुख्य खाद्य पदार्थ के आयात की अनुमति देने की जरूरत पड़ सकती है. अगर भारत आयातक बना, तो यह एक बड़ा उलटफेर होगा—क्योंकि गर्मियों तक ‘दुनिया का पेट भरने’ का इच्छुक देश सर्दियों में इसकी कमी से जूझ रहा होगा. पिछले वर्ष (2021-22) की तुलना में जब भारत ने लगभग 7.2 मिलियन टन गेहूं...

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दास्तां जन औषधि केंद्र की; शुरुआत, चुनौतियां और भविष्य!

जन स्वास्थ्य' का विषय राज्य सूची के अंतर्गत आता है. लेकिन भारत में लोक कल्याणकारी सरकार की अवधारणा है. इसलिए केंद्र सरकार द्वारा भी जन स्वास्थ्य को वरीयता दी जाती है. नतीजन सन् 2008 में "जन औषधि केंद्र" को शुरू किया जाता है. जहां सस्ते दामों पर सामान्य दवाइयां मिल सकें. 7 मार्च, 2022  को जन औषधि दिवस के उपलक्ष में एक कार्यक्रम होता है. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जन औषधि...

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भारत में चावल की खेती लड़खड़ाई, दुनिया की खाद्य आपूर्ति गड़बड़ाई?

क्विंट हिंदी, 03 अगस्त चावल वैश्विक खाद्य आपूर्ति (global food supply) के लिए अगली चुनौती के रूप में उभर सकता है, क्योंकि भारत के कुछ हिस्सों में बारिश की कमी देखने को मिली है, साथ ही देश में पिछले तीन सालों में धान की खेती का बुआई क्षेत्र सबसे कम हो गया है. भारत के चावल उत्पादन (rice production) के लिए खतरा ऐसे समय में आया है, जब देश खाने की...

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जलवायु परिवर्तन से जुड़ी कुछ बुनियादी बातें और शब्दकोश

कार्बनकॉपी, 01 अगस्त हमारी  जलवायु सूर्य, पृथ्वी और महासागरों, हवा, बारिश और बर्फ, तापमान, आर्द्रता,  वायुमंडलीय दबाव, समुद्र के तापमान, आदि से जुड़ी हुई प्रणाली है। इसमें विशेष रूप से औसत वायुमंडलीय तापमान में वृद्धि , दुनिया के किसी हिस्से में बारिश के पैटर्न में आया दीर्घकालिक बदलाव और मौसम यानी सर्दी/ गर्मी के  ग्राफ में असामान्य परिवर्तन ही सरल शब्दों में जलवायु परिवर्तन है। उदाहरण के लिए, प्रशांत सागर का...

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जयंती पर विशेष: वर्तमान में नहीं रही प्रेमचंद युग की पत्रकारिता

जनचौक, 31 जुलाई वाराणसी। प्रेमचंद जी कहते हैं कि समाज में ज़िन्दा रहने में जितनी कठिनाइयों का सामना लोग करेंगे उतना ही वहां गुनाह होगा। अगर समाज में लोग खुशहाल होंगे तो समाज में अच्छाई ज़्यादा होगी और समाज में गुनाह नहीं के बराबर होगा। प्रेमचन्द ने शोषित वर्ग के लोगों को उठाने का हर संभव प्रयास किया। उन्होंने आवाज़ लगाई ‘ए लोगों जब तुम्हें संसार में रहना है तो जिन्दों...

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