-सत्याग्रह, प्रसव का दर्द और मातृत्व का सुख तब भी था जब भाषाएं और सभ्यताएं भी विकसित नहीं हुई थीं. यानी मातृत्व का इतिहास दुनिया की किसी भी सभ्यता के इतिहास से भी पुराना है. समय-समय पर दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में स्त्रीवादी लेखिकाओं ने मातृत्व के बारे में अपने विचार रखे हैं. लेकिन अपने भारतीय समाज में तमाम स्त्रीवादी आंदोलनों, विचार-विमर्श, चर्चा और लेखन के बाद भी एक बड़ी हद...
More »SEARCH RESULT
आर्थिक निराशा में घिरा बहुसंख्यकवादी देश बन गया है भारतः मनमोहन सिंह
-बीबीसी हिंदी, भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने एक संपादकीय लेख में कहा है कि भारत उदारवादी लोकतंत्र के वैश्विक उदाहरण से आर्थिक निराशा में घिरा बहुसंख्यकवादी देश बन गया है. द हिंदू में प्रकाशित संपादकीय में मनमोहन सिंह ने कहा कि वो भारी मन से ये बात लिख रहे हैं. मनमोहन सिंह ने कहा कि भारत इस समय सामाजिक द्वेष, आर्थिक मंदी और वैश्विक स्वास्थ्य महामारी के तिहरे ख़तरे का सामना...
More »अर्थातः बचेगा डिजिटल इंडिया?
लड़खड़ाते मोबाइल नेटवर्क, घिसटते इंटरनेट और बढ़ते बिल के बीच टेलीकॉम बाजार को करीब से देखिए, आपको डिजिटल इंडिया हांफता नजर आएगा. वह उम्मीद छीजती दिखेगी जिसकी ताकत पर अर्थव्यवस्था को अगली छलांग लगानी है. सरकार ने वही किया है जो अब तक करती आई है, उसकी नीतियों ने फलते-फूलते प्रतिस्पर्धी दूरसंचार बाजार का गला दबा दिया है. ई कॉमर्स, ई गवर्नेंस, सबको मोबाइल, ई क्रांति (सेवाओं की इलेक्ट्राॅनिक डििलवरी), डिजिटल...
More »अरुधंति रॉय: क्षितिज पर मदद का कोई निशान नज़र नहीं आता
प्यारे दोस्तो, साथियों, लेखको और फ़नकारो! यह जगह जहां हम आज इकठ्ठा हुए है, उस जगह से कुछ ज़्यादा फ़ासले पर नहीं है जहां चार दिन पहले एक फ़ासिस्ट भीड़ ने— जिसमें सत्ताधारी पार्टी के नेताओं से भाषणों की आग भड़क रही थी, जिसको पुलिस की सक्रिय हिमायत और मदद हासिल थी, जिसे रात-दिन इलेक्ट्रॉनिक मास-मीडिया के बड़े हिस्से का सहयोग प्राप्त था, और जो पूरी तरह आश्वस्त थी कि अदालतें...
More »पहली बार परती ही छूट गई मोकामा टाल की 10 हजार एकड़ जमीन, किसान परेशान
अपनी खास भौगोलिक स्थिति के कारण पहचाने जाने वाले मोकामा टाल में इस साल करीब 10 हजार एकड़ जमीन परती छूट गई। स्थानीय लोग बताते हैं कि उनके ज्ञात इतिहास में ऐसा पहली दफा हुआ है। दाल के कटोरे के नाम से मशहूर टाल इलाके में इस बार गंगा नदी का पानी जनवरी के पहले सप्ताह तक जमा रह गया, जो अमूमन सितंबर महीने तक निकल जाता था, इस वजह...
More »