गांधी और उनके ग्राम स्वराज के सपने पर नयी दिल्ली स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान की अध्यक्ष और प्रसिद्ध गांधीवादी राधा भट्ट्र से पंचायतनामा के लिए संतोष कुमार सिंह ने बातचीत की. प्रस्तुत है प्रमुख अंश : अक्सर इस बात पर चर्चा होती है कि भारत गांवों का देश है, देश की प्रगति तभी संभव होगी जब गांवों की प्रगति होगी? लेकिन वास्तविकता के धरातल पर इस चर्चा को कितनी जगह मिल पायी...
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बदलते वातावरण के बीच खेती-बाड़ी की चुनौतियां- नई रिपोर्ट
देश की कृषि को दुनिया की कुल कृषि-भूमि का महज 2.4 फीसदी और कुल जल-संसाधन का सिर्फ 4.0 प्रतिशत हासिल है। तो, क्या इस सीमित संसाधन के बूते भारतीय कृषि दुनिया की 17.5 फीसदी आबादी(भारतीय) का पेट भरने की चुनौती सफलतापूर्वक निभा सकेगी ? हाल के सालों में इस चुनौती ने और भी ज्यादा गंभीर रुप धारण किया है क्योंकि वैश्विक तापन(ग्लोबल वार्मिंग) और उससे जुड़े पर्यावरणगत बदलावों के कारण देश...
More »किसान-उपभोक्ता के बीच उलझी कृषि- डा भरत झुनझुनवाला
बताया गया था कि डब्ल्यूटीओ संधि के लागू होने पर कृषि निर्यात बढ़ेंगे और किसानों के लिए नये मौके खुलेंगे. लेकिन आयातों से किसान घरेलू बाजारों से भी वंचित हो रहे हैं. इसलिए डब्ल्यूटीओ संधि नहीं, बल्कि सरकार की कृषि नीति जिम्मेवार है. आगामी चुनाव में किसानों का वोट हासिल करने को पार्टियों में होड़ लगी हुई है. किसानों को ऋण एवं अन्य सुविधाएं देने का वायदा किया जा रहा है....
More »70 प्रतिशत पैकेज्ड वाटर सुरक्षित नहीं
कोलकाता: भारत में 70 प्रतिशत पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर सुरक्षित नहीं हैं. पानी की बोतलों पर ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआइएस) द्वारा सर्वे जारी किया गया है. बीआइएस के महानिदेशक सुनील सोनी ने बताया कि बोतलों की पैकेजिंग एंड लेबलिंग में धांधली का मामला सामने आया है, इसलिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड ने इस पर रिसर्च और सर्वे शुरू किया, ताकि यह पता चल सके कि मिनरल वाटर में होनेवाले जरूरी तत्व पानी...
More »विकास में केंद्रीय सहायता जरूरी- सतीशचंद्र झा
राज्य का विकास कैसे हो, यह वहां की सरकार की प्रतिबद्धता से जुड़ा होता है. बिहार विकास के मामले में देश के अन्य राज्यों से पीछे है. लेकिन पिछले कुछ वर्षो से इसमें बदलाव आया है. बिहार और झारखंड को विकास के लिए विशेष दरजा दिया जाना चाहिए. बिहार सरकार की यह मांग जायज भी है, क्योंकि झारखंड अलग होने के बाद बिहार में संसाधन नहीं के बराबर रह गये. इसके...
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