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#jharkhand में "भुखमरी" से मर रहे लोग, मुर्दों को राशन बांट रहे हैं डीलर

!! गढ़वा @ मुकेश तिवारी !! गढ़वा : झारखंड में भुखमरी से हुई मौत की खबर सुर्खियां बनी. राजनीतिक पार्टियों ने इसे मुद्दा बनाया. सरकार को इस मामले पर जवाब देना पड़ा. राशन ना मिलने से भूखमरी के बाद अब खबर आ रही है मुर्दों को मिलने वाले राशन की. झारखंड में राशन ना मिलने की वजह से भुखमरी की खबर ने सुर्खियां बंटोरी अब प्रभात खबर की पड़ताल में...

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समतामूलक रहा है मुंडा समाज-- डॉ खातिर हेमरोम /रेमिस कंडुलना

मुंडा जितनी प्राचीन जाति है, उतना ही उसका इतिहास भी प्राचीन है. किंतु इसके इतिहास को गौण कर दिया गया है. भारत में इसका पुख्ता प्रमाण प्राचीन भारतीय सभ्यताओं के खुदाई के अवशेषों में मिलते हैं. पाषाण कालीन सभ्यता की संस्कृति मुंडाओं के कुल पुरखों की है. इनके पुरखों की याद में एवं उनके श्रद्धा सम्मान में पूर्वजों की आत्मा को सुरक्षित रखते हुए वर्तमान तक ससनदिरि में रखकर संस्कार...

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नहीं मान रहे शिक्षाकर्मी, अब भूख हड़ताल की राह पर आंदोलन

रायपुर । छत्तीसगढ़ में शिक्षाकर्मियों का आंदोलन खत्म होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। सरकार की ओर से मिली चेतावनी के बावजूद शिक्षाकर्मी काम पर वापस नहीं लौटे हैं, वहीं अब आंदोलन कर रहे शिक्षाकर्मियों ने दो दिसंबर से भूख हड़ताल करने की भी चेतावनी दी है।   मिली जानकारी के मुताबिक दो दिसंबर से शिक्षाकर्मी परिवार सहित राजधानी में महारैली निकालेंगे। छत्तीसगढ़ शिक्षक पंचायत नगरी निकाय संघ ने सरकार...

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देश के 20 राज्यों के मनरेगा मजदूरों को नहीं मिल पा रही मजदूरी-- नरेगा संघर्ष मोर्चा

क्या आप दुनिया की सबसे तेज गति से बढ़ रही एक ऐसी अर्थव्यवस्था की कल्पना कर सकते हैं जहां कुल श्रमशक्ति के लगभग 20 फीसद हिस्से को महीनों से अपने काम की मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया हो ?   अगर आपको यह सवाल अजीब लग रहा है तो दुनिया में रोजगार गारंटी की सबसे बड़ी योजना के रुप में मशहूर मनरेगा के मजदूरों की हालिया दशा के बारे में सोचिए.   नरेगा...

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कुप्रबंधन की थाली में फिर से न परोसा जाए पोषाहार!-- आशीष व्यास

'ग्लोबल हंगर इंडेक्स रिपोर्ट 2016" के अनुसार मध्यप्रदेश की स्थिति बच्चों के कुपोषण-भूख के मामलों में चिंताजनक है। श्योपुर में कुपोषण से 2016 में 55 बच्चों की मौत हुई थी। इस साल भी तीन बच्चों की मौत हो चुकी है। माना जाता है कि प्रदेश में सिर्फ 23 प्रतिशत बच्चे ही आंगनवाड़ियों में दर्ज हैं और इन्हीं के जरिए बच्चों के लिए पोषाहार की व्यवस्था की जाती है। पांच वर्ष...

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