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छत्तीसगढ़ में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन में बड़े किसानों के साथ आए खेत मजदूर

-कारवां, “मनरेगा में हमें यह सरकार अब मुश्किल से बीस दिन ही काम दे रही है. जब हमने मनरेगा में काम करना शुरू किया था तो किसी साल 50-60, तो किसी साल 80 दिनों तक हमें अपने गांव में ही काम मिल जाता था. पर, हमें तो अपना गुजारा करने के लिए साल के सभी दिन काम चाहिए न. इसलिए, कुछ दिन हम अपने खेत और कुछ दिन बड़े किसानों के खेतों...

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किसान संगठन ने कहा, सत्ता के शीर्ष पर बैठे पीएम मोदी एमएसपी पर सफेद झूठ बोल रहे हैं

-द वायर, केंद्र द्वारा लाए गए तीन विवादित कानूनों के खिलाफ रेल रोको प्रदर्शन के एक दिन बाद किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) के सहयोगी संगठन अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बोले जा रहे ‘झूठ’ की ओर ध्यान दिलाया. संगठन के सदस्य और इन कानूनों पर सरकार के साथ बातचीत के प्रमुख वार्ताकारों में से एक हन्नान मोल्ला ने कहा,...

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निजी क्षेत्र के समर्थन के दावे को पूरा करने के लिए मोदी सरकार को इन 5 प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करना होगा

-द प्रिंट, सरकार की आर्थिक रणनीति में बदलाव करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने निजी क्षेत्र पर भरोसा जताया है. बुधवार को सरकार ने दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पादों के लिए एक प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना शुरू की, जिसमें 13 सेक्टर शामिल हैं और माना जा रहा है कि इससे वैश्विक विनिर्माण क्षेत्र भारत की ओरआकर्षित हो सकेगा. यह विशेष रूप से आयात पर उच्च निर्भरता वाले श्रम-प्रधान क्षेत्रों में घरेलू...

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निजीकरण के लिए बैंक ऑफ इंडिया जैसे चार बैंकों का चयन: रिपोर्ट

-द वायर, केंद्र सरकार ने मध्यम आकार के सरकार संचालित चार बैंकों का निजीकरण करने के लिए चयन किया है. तीन सरकारी सूत्रों ने इसकी जानकारी दी. सरकार का यह कदम उसकी उस बड़ी योजना का हिस्सा है जिसके तहत वह सरकारी संपत्तियों को बेचकर राजस्व बढ़ाने की तैयारी कर रही है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, सरकार की भारी-भरकम हिस्सेदारी वाले इन बैंकों में सैंकड़ों-हजारों कर्मचारी काम करते हैं और बैंकिंग सेक्टर...

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उत्तराखंड सरकार ने पनबिजली परियोजनाओं द्वारा कम पानी छोड़ने की वकालत की थी

-द वायर, उत्तराखंड के चमोली जिले में बर्फ फिसलने से अचानक आई भीषण बाढ़ और इसके चलते व्यापक स्तर पर हुए नुकसान ने साल 2013 के केदारनाथ आपदा के घावों को हरा कर दिया है. केंद्र एवं राज्य सरकार के ऊपर सवाल उठ रहे हैं कि उन्होंने पिछली आपदाओं से सबक नहीं लिया और बेहद संवेदनशील हिमालयी क्षेत्रों में बेतरतीब ‘तथाकथित’ विकास कार्य जारी है, जिसका खामियाजा आम लोगों को ही भुगतना...

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