जनसत्ता 22 अगस्त, 2014 : वित्तमंत्री अरुण जेटली के अनुसार आम लोगों के लिए बवालेजान बनी महंगाई का सीधा संबंध बाजार में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति से है। भारतीय शासकों का यह जाना-माना तर्क रहा है, जो जनता को बरगलाने वाले अगले पाखंड की जमीन भी तैयार करता है। शासकों का अगला तर्क होता है कि आम लोगों की जरूरत की चीजों की आपूर्ति जमाखोरों ने रोक रखी है और...
More »SEARCH RESULT
न्यायिक स्वतंत्रता का सवाल- राजीव धवन
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू कुछ कहते हैं, तो उस पर सबका ध्यान जाता है। लेकिन इस बार मामला अलग है। स्वाभाविक है, जब वह न्यायपालिका पर राजनीतिक दबाव में आने का आक्षेप लगा रहे हों, और उसकी स्वतंत्रता पर सवाल खड़े कर रहे हों, तो यह महज संवाद बनकर नहीं रह सकता। आखिर यह मामला तीन पूर्व प्रधान न्यायाधीश और सीधे तौर पर पिछली यूपीए सरकार के...
More »प्रदर्शनी की वस्तु नहीं हैं जारवा आदिवासी
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2002 में लगाई गई पाबंदी के बावजूद क्या अंडमान की जारवा जनजाति के लिए संरक्षित इलाकों में जारवा पर्यटन को बढ़ावा नहीं दिया जा रहा है? अगर अंडमान ग्रैंड ट्रंक रोड पर वाहनों की बढ़ती कतारें देखें, तो कुछ ऐसा ही समझ में आता है। उल्लेखनीय है कि अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही जारवा आदिम जनजाति के इलाकों में पर्यटकों की बढ़ती आवाजाही को देखते हुए...
More »ज्यादा अहम क्या : बदला या सुधार? -एनके सिंह
झारखंड के बोकारो में स्थित एक गांव गुलगुलिया ढोरा में एक बलात्कार हुआ। मामला पंचायत में गया। मुखिया ने फैसला सुनाया कि बलात्कार की शिकार महिला का पति बलात्कार आरोपी की 14 वर्षीया बहन से बलात्कार करे। यही हुआ। पूरे गांव के सामने। लड़की के मां-बाप गुहार लगाते रहे पर कोई बचाने नहीं आया। संबंधित थाने में भी शुरू में रिपोर्ट नहीं लिखी गई। उधर मद्रास हाई कोर्ट के एक...
More »जलाशयों में अतिक्रमण से बढ़ा भूजल संकट
महोबा, जागरण संवाददाता : कबरई ब्लाक का खन्ना सर्वाधिक जल संकट ग्रस्त गांव है। रिमोट सेंसिंग टीम के सर्वे के मुताबिक यहीं एक हजार फिट गहराई तक नलकूप लगाने योग्य पानी नहीं है। बावजूद इसके ग्रामीण जलाशयों में अतिक्रमण कर मकान बना रहे हैं। इससे गांव के डार्क जोन में आने की रही सही कसर भी पूरी हो गई है। ग्राम प्रधान व सैकड़ो ग्रामीणों ने डीएम से सर्वोच्च न्यायालय...
More »