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पवार की नाराजगी की वजह 26 हजार करोड़ का घोटाला?

नई दिल्ली.यूपीए की सहयोगी पार्टी एनसीपी और कांग्रेस के बीच खींचतान जारी है। शनिवार को मुंबई में पार्टी के नेता बैठक कर रहे हैं तो दिल्ली में पार्टी के नेता डीपी त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह से मुलाकात की। एनसीपी ने एक बार फिर साफ किया है कि वह यूपीए का हिस्सा बनी रहेगी। मुंबई एयरपोर्ट पर मीडिया से बात करते हुए पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय भारी उद्योग...

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छह रुपये में मिलेंगे सैनिटरी नैपकीन

पटना : किशोर प्रजनन एवं यौन स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत बिहार के 10 जिलों में ग्रामीण इलाकों में सामाजिक विपणन कार्यक्रम के तहत छह रुपये के मूल्य पर महिलाओं के लिए सैनिटरी नैपकीन उपलब्ध कराये जायेंगे. राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक संजय कुमार ने आज संवाददाताओं से कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) के किशोर प्रजनन एवं यौन स्वास्थ्य कार्यक्रम (एडोलसेंट रिप्रोडक्टिव एंड सेक्सुअल हेल्थ प्रोग्राम) के तहत राज्य...

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विकास का शौचालय सिद्धांत- यशवंत व्यास

आत्मविकास की परंपरा में शौचालय का भारी योगदान रहा है। दिशा-मैदान की भारतीय रीति ने कई लोगों को दिमागी तौर पर परेशान किया। कहा जाता है कि गांवों में जंगल की झाड़ियों को ढूंढने और लौटते समय कुएं से दातौन चबाते हिंदुस्तानी लोग परदेसियों के लिए अजूबे थे। भूमिपुत्रों के देश में शौचालय की परंपरा का आगमन आयातित संस्कृति का प्रतीक हो सकता है, लेकिन इससे कौन इनकार करेगा कि महानगरों...

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इंडिया और भारत के उपभोक्ता- मृणाल पांडेय

उपभोक्तावाद पर कई बेदिमाग टिप्पणियों से यह भी साफ झलकता है कि कई महानगरीय लेखकों की नजर अहं भरी है। उनकी राय है कि गांव या कसबे का बेचारा मनई पूरी तरह बाजार के हाथों की कठपुतली बन नाच रहा है। शहरी बड़े भैया लोगों का यह तर्क आगे जाकर शहरों, खासकर बड़े शहरों के उपभोक्ता को एक अनैतिक उपभोगवादी बाजार बंधु और ग्रामीण मजूर किसानों का खतरनाक वर्ग शत्रु...

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कौन ठगवा नगरिया लूटल हो : गोपालकृष्ण गांधी

‘लूट’ शब्द जो है, ठेठ हिंदी का है। उर्दू में भी उसकी अपनी जगह है। यानी उसका घर हिंदुस्तानी में है, बोलचाल की मिली-जुली जुबान में। और अफसोस, अब उसका घर हमारी हर जुबान में है, हर दिमाग में, हमारी निराशा में, हमारे गुस्से में, हमारे आक्रोश में। आजकल हम लूट, लुट जाने और लुटेरों के बारे में इतना पढ़ते, देखते और सुनते हैं कि लगता है ‘लूट’ शब्द हमारे लिए और हमारे...

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