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शिक्षक होने के मायने क्या? : सतीश झा

हाल ही की एक खबर पर बहुत कम लोगों का ध्यान गया, जबकि भारत के शैक्षिक भविष्य में दिलचस्पी रखने वाले हर व्यक्ति की रुचि उसमें होनी चाहिए। मानव संसाधन विकास मंत्री ने एक आश्चर्यजनक बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि आज देश में पांच लाख से भी अधिक ‘शिक्षक’ नौकरी की तलाश में हैं। यह बात सुनकर मैं सोच में पड़ गया कि सरकार में बैठे हमारे हुक्मरान क्या...

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112 स्लम बस्तियों पर मंडरा रहा खतरा

पटना : राजधानी में कई इलाके ऐसे हैं, जहां हमेशा मौत का साया (बिजली, आग व पानी के कारण) मंडराता रहता है. नगर निगम के सर्वे के अनुसार यहां करीब 112 स्लम बस्तियां हैं, जो आग, बिजली व पानी की दृष्टि से काफी अधिक खतरनाक हैं. इन इलाकों में करीब 15 हजार परिवार रहते हैं. आग की एक चिनगारी दर्जनों जिंदगियों व फूस से बने घरों को बरबाद कर सकती है....

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एक लाख लोगों को दूषित पानी

शिमला. प्रदेश के करीब एक लाख लोगों को को आईपीएच विभाग ‘जहरीला’ पानी पिला रहा है। राजधानी शिमला में भी करीब ८ हजार लोग गंदा पानी पीने को मजबूर हैं। सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग की 155 पेयजल स्कीमों में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट नहीं है। इन पेयजल स्कीमों से करीब 350 बस्तियों को पानी की सप्लाई की जाती है। राज्य की मौजूदा कैबिनेट में तीन-तीन मंत्री देने वाले मंडी जिले में सबसे...

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विकास दर में वृद्धि के बावजूद गरीबी बढना चिन्ता का विषय

पटना। बिहार के ग्रामीण कार्य मंत्री भीम सिंह ने आज कहा कि विशेषज्ञों के लिये यह गहन मंथन का विषय है कि विकास दर में वृद्धि के बावजूद देश में गरीबों की संख्या में वृद्धि क्यों हो रही है। श्री सिंह ने पत्र सूचना कार्यालय की ओर से यहां (ग्रामीण विकास से भारत का निर्माण) विषय पर आयोजित दो दिवसीय विचार गोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कहा कि सकल घरेलू उत्पाद में...

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बढ़ती बेरोजगारी के बीच- गिरीश मिश्र

नौजवानों के लिए इससे बड़ी त्रासदी क्या हो सकती है कि जब वह शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार होकर उत्पादन के क्षेत्र में उतरने को तत्पर होता है, तब उससे कह दिया जाता है कि उसकी आवश्यकता नहीं है। ऐसे में उसका खुद पर गुस्सा लाजिमी है कि उसने अपने परिवार के संसाधनों का इस्तेमाल खुद को राष्ट्रीय उत्पादन में योगदान करने लायक बनाने के लिए व्यर्थ किया। मां-बाप...

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