नई दिल्ली [भारत डोगरा]। भारतीय संविधान ने आदिवासी समुदायों की विशेष आवश्यकताओं के प्रति संवेदनशीलता का परिचय दिया और संविधान की इस भावना के अनुकूल हमारे देश में आदिवासी हितों की रक्षा के अनेक कानून भी बनाए गए, लेकिन इसके बावजूद जमीनी स्तर की वास्तविकता यह रही कि आदिवासियों को कई तरह का अन्याय सहना पड़ा। बड़े पैमाने पर वे जमीन से वंचित हुए व उनकी वन-आधारित आजीविका भी अधिकाश स्थानों पर तेजी से कम होती...
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ग्राम अदालतों का गठन जल्द करें राज्य
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। आम आदमी को त्वरित न्याय मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने राज्य सरकारों से जल्दी से जल्दी ग्राम अदालतें स्थापित करने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ग्राम न्यायालय अधिनियम पारित कर चुकी है। अगर राज्य सरकारें इसे अमल में लाएं तो पूरे देश में पंचायत स्तर पर 5000 से ज्यादा अदालतें पूरी तस्वीर बदल सकेंगी। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी अदालतों में ढाई करोड़ मुकदमे...
More »क्या हम नाजी जर्मनी में रह रहे हैं: कोर्ट
मुंबई। महिलाओं के बारों में रात 9:30 बजे के बाद काम करने पर पाबंदी संबंधी एक कानून के औचित्य पर सवाल उठाते हुए बंबई हाईकोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि यह कैसा कानून है? क्या हम नाजी जर्मनी में रह रहे हैं? बंबई दुकान एवं प्रतिष्ठान कानून 1948 को महिला संगठनों और होटल एवं रेस्तरां ऐसोसिएशन [आईएचएआर] ने चुनौती देते हुए इसे भेदभावपूर्ण बताया था। याचिका में कहा गया था कि पांच तारा होटलों...
More »अमीरी-गरीबी के बीच बढ़ता फासला
नई दिल्ली [निरंकार सिंह]। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि 11वीं योजना के अंत तक नौ फीसदी और 12वीं पंचवर्षीय योजना में 10 फीसदी विकास दर का लक्ष्य होना चाहिए। इसके साथ यह भी सुनिश्चित करना होगा कि इसका फायदा समाज के हर वर्ग को मिले। इनकी सरकार लगातार समावेशी विकास के दावे कर रही है, लेकिन उसने विकास के उन तौर तरीकों को अपनाया है, जिससे समाज में विषमता बढ़ गई है। अमीरी और...
More »वलनीः छब्बीस बरस की गवाही
यह कहानी है नागपुर तालुका के गांव वलनी के लोगों की। वलनी में उन्नीस एकड़ का एक तालाब है। वलनीवासी 1983 से आज तक वे अपने एक तालाब को बचाने के लिए अहिंसक आंदोलन चला रहे हैं। छब्बीस वर्ष गवाह हैं इसके। न कोई कोर्ट कचहरी, न तोड़ फोड़, न कोई नारेबाजी। तालाब की गाद-साद सब खुद ही साफ करना और तालाब को गांव-समाज को सौंपने की मांग। हर सरकारी...
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