इस देश में गरीब कौन है? हमें मालूम है कि उनका वजूद तो है। हम उन्हें चित्रों में देखते हैं। हम उन्हें तब देखते हैं जब कोई भीषण बाढ़ हो या भयंकर सूखे ने उनकी आजीविका छीन ली हो। सच तो यह है कि हम उन्हें तब से देख रहे हैं जब सुनील जानाह के 1943 में पड़े बंगाल के अकाल के फोटो ने दुनिया की चेतना को झकझोर दिया...
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असली कर्जदार कौन है?-- योगेन्द्र यादव
मंदसौर गोलीकांड को एक महीना हो गया. इस एक महीने में किसान के सवाल पर देश में संवेदना उभरी, कुछ समझ भी बनी. खुद किसान का संघर्ष मजबूत हुआ, एक संकल्प भी बना. लेकिन, क्या इस संवेदना और संघर्ष से कोई समाधान निकलेगा? पिछले एक महीने में किसान के सवाल पर जितनी चर्चा मीडिया में हुई, उतनी पिछले दस साल में नहीं हुई होगी. कम-से-कम अखबार पढ़नेवाले और टीवी...
More »मोदी का सबसे बड़ा दांव--- एन के सिंह
कल आधी रात को संसद के ‘सेंट्रल हॉल' में आयोजित एक जगमगाते कार्यक्रम में लंबे वक्त से प्रतीक्षित ‘गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स' यानी जीएसटी कानून आखिरकार वजूद में आ गया। प्रतिष्ठित ब्रिटिश अखबार फाइनेंशियल टाइम्स ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक बड़ा (टैक्स गैंबल) दांव करार दिया है। जीएसटी के फायदे के बारे में सब जानते हैं। यह आसानी से कारोबार कर सकने की राह में खड़ी तमाम...
More »सुलगते दार्जिलिंग की राजनीति-- हरिराम पांडेय
पर्यटन के लिए विख्यात दार्जिलिंग में चार दशक पुराना गोरखा आंदोलन फिर से भड़क उठा है। भाषा के नाम पर एक पखवाड़े से चल रहा यह आंदोलन दबने का नाम नहीं ले रहा। दबाने के सरकारी प्रयास आग में घी का काम कर रहे हैं। इस इलाके की सबसे बड़ी पार्टी गोरखा जनमुक्ति मोर्चा नेपाली भाषियों के लिए अलग राज्य की मांग कर रही है। इस आंदोलन से उत्तर बंगाल...
More »प्रेस की एकजुटता-- राजेश जोशी
पिछले शुक्रवार को दिल्ली के प्रेस क्लब में पूर्व मंत्री, लेखक और संपादक अरुण शौरी ने ऐसा क्या कह दिया कि हंगामा खड़ा हो गया? एनडीटीवी पर सीबीआइ के छापों का विरोध करने के लिए हुई पत्रकारों की बैठक में कुलदीप नैयर, प्रणय रॉय, शेखर गुप्ता, राज चेंगप्पा भी बोले थे, लेकिन अरुण शौरी एकमात्र वक्ता थे, जिन्होंने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाने पर लिया. उन्होंने अपने भाषण में...
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