किसी कारोबारी द्वारा बैंकों का कर्ज चुकता न किये जाने से न सिर्फ बैंकों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी कमजोर होती है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के नुकसान की भरपाई अंततः सरकारी खजाने से करनी पड़ती है. यह खजाना देश की सामूहिक आय, नागरिकों द्वारा दिये गये कर और बचत की राशि से बनता है. इसका मतलब यह है कि...
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जीवन-मरण का वैश्विक प्रश्न--- निरंकार सिंह
जब ग्लोबल वार्मिंग की चर्चा शुरू हुई थी, तब इस प्रकार के आकलन की वैज्ञानिकता पर काफी सवाल उठाए गए थे। लेकिन धीरे-धीरे वे सवाल खामोश होते गए। अब पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ने तथा इसके फलस्वरूप जलवायु संकट तीव्रतर होने की हकीकत पर मतभेद की गुंजाइश नहीं रह गई है। दुनिया भर के वैज्ञानिक अब यह अनुभव करने लगे हैं कि हम आधुनिक विकास के जिस रास्ते पर चल...
More »जल संकट के कारण घटा बिजली उत्पादन
नई दिल्ली। औसत से कम बारिश और ज्यादा गर्मी के कारण पानी की कमी का असर न केवल खेती-बाड़ी और आम जन-जीवन पर हो रहा है, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था इसकी चपेट में आ सकती है। मसलन, इसकी वजह से बिजली उत्पादन घटने लगा है। पानी की कमी के कारण कई थर्मल पावर प्लांट बंद हो गए हैं और कई बंदी की कगार पर हैं। दूसरी तरफ पन बिजली परियोजनाओं पर भी...
More »एडीबी ने भारत के लिए विकास दर का अनुमान घटाया
दिल्ली। एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने वित्त वर्ष 2016-17 में भारत की विकास दर 7.4 प्रतिशत रहने का अंदाजा लगाया है। इससे पहले भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 7.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था। एडीबी ने बुधवार को कहा कि भारत की विकास दर पर वैश्विक चुनौतियों का असर होगा। बावजूद इसके अपेक्षाकृत अधिक सुधारों की बदौलत भारत को दुनिया की सबसे तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था बनने में मदद मिलेगी।...
More »आर्थिक उदय का वह नायक- संजय बारु
आज कच्चे तेल की कीमतों के गिरने पर दुनिया इस चिंता में दुबली हुई जा रही है कि इसका आर्थिक विकास पर कितना बुरा असर पड़ेगा। हालांकि कच्चे तेल के मामले में पूरी तरह आयात पर निर्भर भारत इस परिस्थिति पर न तो खुश होता दिखता है, और न ही दुखी। दरअसल, भारतीय नीति-नियंता उन कीमतों को नहीं भूल पाए हैं, जो उन्हें तेज वृद्धि के दौरान चुकानी पड़ी थी। उनका...
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