उत्तर कर्नाटक के नारायण, झारखंड के रूपलाल मरांडी, बरेली की सफीना अशफाक और ओड़ीशा के कुंदरु नाग के बीच क्या समानता हो सकती है ? शायद, कोई नहीं- सिवाय इसके कि ये सभी समाज के वंचित वर्ग के हैं और इन सबकी मौत पिछले एक साल के दौरान भुखमरी के कारण हुई तथा इन सभी को एक ना एक कारण से पीडीएस से अनाज नहीं मिल सका.(पिछले एक साल के...
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'केंद्र के साथ ही राज्य सरकार की नौकरियों में लागू होगा पदोन्नति में रिजर्वेशन'
नयी दिल्ली : केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने बुधवार को एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद कहा कि पदोन्नति में आरक्षण फिर से बहाल करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट से केंद्र को मिली अस्थायी राहत के बाद यह केंद्र सरकार के साथ ही राज्य सरकारों की नौकरियों में भी लागू होगा. पासवान ने कहा कि कुछ भ्रम था, क्योंकि इसको लेकर संदेह था कि अदालत का निर्देश क्या केवल केंद्र...
More »अधिकारों से बेदखल आदिवासी-- मोहन गुरुस्वामी
तेलंगाना स्थित पूर्ववर्ती आदिलाबाद जिले के निवासी गोंड एवं अन्य आदिवासियों के प्रतिनिधि संगठन तथा तेलंगाना सरकार के बीच चल रही बातचीत इस सप्ताह विफल हो जाने के बाद आदिवासी नेताओं ने घोषणा कर दी कि अब वे अपने गांवों में ‘स्वशासन' कायम करने की अपनी पूर्व घोषणा पर अमल करेंगे. ऐसा कर वे झारखंड के आदिवासियों द्वारा पहले से ही चलाये जा रहे ऐसे अभियान का ही अनुसरण कर...
More »ग्राम स्वराज पर पुनः चिंतन-- मणीन्द्र नाथ ठाकुर
वर्तमान सरकार ने ग्रामीण विकास के लिए एक नया प्रयास किया था. सांसदों को एक-एक गांव गोद लेने की सलाह दी गयी थी. उनसे कहा गया था कि इस गांव को विकास का प्रतिमान बनाया जाये. लेकिन, आखिरकार यह भी जुमला ही प्रतीत हो रहा है. पिछली सरकार के समय राष्ट्रपति कलाम साहब ने भी एक सपना देखा था कि ग्रामीण इलाकों में शहरों की सुविधाएं दी जाएं. लेकिन...
More »बंगाल में लोकतंत्र का मखौल-- प्रसेनजीत बोस
पश्चिम बंगाल का मौजूदा पंचायत चुनाव पूरी तरह से लोकतंत्र के साथ घटिया मजाक है. फिलहाल राज्य में पंचायत के पदों की संख्या करीब 48 हजार है. साल 1978 से हर पांच वर्ष पर राज्य में पंचायत के चुनाव हो रहे हैं. उस समय से दो बार- 2003 में वाम मोर्चे की सरकार और 2013 में तृणमूल कांग्रेस की सरकार के तहत- सबसे ज्यादा निर्विरोध उम्मीदवार चुने गये थे....
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