SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 462

'मंत्रीजी! बिन पानी हमारे लड़के रह गए कुंआरे, अब तो कुछ करो'

रायसेन(मध्यप्रदेश)। मंत्री जी, चुनाव के समय तो आपने हाथ पर कलश-नारियल रखकर कसम खाई थी कि गांव में पानी-बिजली की समस्या जल्द खत्म कर देंगे। लेकिन अब क्या हुआ। चुनाव जीतने के बाद तो आप हमें भूल ही गए। यहां जवान लड़कों की शादियां नहीं हो रही हैं। जिनकी हो भी गई हैं, उनकी पत्नियां मायके से वापस ससुराल नहीं आना चाहती, क्योंकि गांव में दो से तीन किमी दूर से...

More »

बेवजह पति से अलग रह रही पत्नी भरण-पोषण की हकदार नहीं

इंदौर। कुटुंब न्यायालय ने द्वारकापुरी कॉलोनी में माता-पिता के साथ रह रही महिला का आवेदन इस आदेश के साथ खारिज कर दिया कि बेवजह घर छोड़कर पति से अलग रह रही पत्नी अंतरिम भरण-पोषण की हकदार नहीं है। गंगानगर (खरगोन) निवासी शैलेंद्र पिता सुरेशचंद्र धनारे की पत्नी मनीषा विवाद के बाद पति को छोड़कर द्वारकापुरी इंदौर में माता-पिता के पास रह रही है। उसने पति के खिलाफ दहेज प्रताड़ना, घरेलू हिंसा,...

More »

गांवों में किफायती व गुणवत्तापूर्ण प्री-स्कूलिंग

यह बात वर्ष 2002 की है़ आइआइटी मद्रास से इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर इनफोसिस में नौकरी कर रहे उमेश मल्होत्रा टीवी पर एक डॉक्यूमेंट्री देख रहे थे, जो ग्रामीण परिवेश में रहनेवाले बच्चों की शिक्षा से जुड़ा था़ तब उनके मन में एक विचार आया कि क्यों न ऐसे क्षेत्रों में लाइब्रेरी की शुरुआत की जाये, जिनमें बच्चे अपनी मर्जी से किताबें लेकर उन्हें पढ़ सकें. इस योजना पर...

More »

इंद्र भरोसे खेती, पर कब तक--- बिभाष

हरित क्रांति के मसीहा डॉ नॉर्मन बोरलॉग ने साठ के दशक में बौनी प्रजाति के अधिक उपज वाले गेहूं की ईजाद की. सभी देशों की तरह भारत में भी उस गेहूं की खेती शुरू की गयी. बौनी प्रजाति के गेहूं ने उस वक्त की राजनीति गढ़ने का भी काम किया, जिस पर बहस और शोध होना चाहिए. देखते-देखते गेहूं की उपज दूनी हो गयी. सन् 1959-60 में जो गेहूं...

More »

किसानों के अनुभव : समाज को निबटना होगा सूखे से, सरकार के भरोसे नहीं

लगातार दो कमजोर मॉनसून और लापरवाह जल-प्रबंधन के कारण देश में सूखे का संकट उत्तरोत्तर गंभीर होता जा रहा है. देश की करीब आधी आबादी सूखा और जल-संकट की चपेट में है. कई इलाकों में तो दो साल से अधिक समय से यह स्थिति व्याप्त है. अत्यंत गंभीर रूप से प्रभावित क्षेत्रों से बड़ी संख्या में ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं. सरकारी तंत्र इस विपदा से निबटने में न सिर्फ...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close