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बिहार: सुखाड़ के साथ खाद की कमी और कालाबाजारी से जूझ रहे किसान

डाउन टू अर्थ, 24 अगस्त बिहार में लगातार तपिश और कड़ाके की गर्मी से किसान मायूस हैं। मौसम विभाग के अनुसार 17 अगस्त 2022  तक राज्य में केवल 389.8 मिलीमीटर बारिश दर्ज की जो कि सामान्य से बहुत कम है। इस समय तक सामान्य तौर पर 657.6 मिलीमीटर बारिश होती है। इस सुखाड़ से नुकसान झेलने के बाद किसान अब यूरिया और खाद की किल्लत से भारी मुसीबतों का सामना कर रहे...

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झारखंड: बारिश न होने के कारण किसानों ने धान की उम्मीद छोड़ी

डाउन टू अर्थ 23 अगस्त 52 साल के महेंद्र का गांव झारखंड के हजारीबाग जिले के कटकम प्रखंड में है। उन्होंने डाउन टू अर्थ से कहा, “मेरे गांव बानादाग में पिछली बारिश तो काफी अच्छी हुई थी। 27 जुलाई से पहले ही रोपाई पूरी कर ली थी हमने, लेकिन इस बार बारिश ही नहीं हुई।बिचड़ा डाले हुए 45 दिन हो गए हैं। अब धान रोपने का कोई फायदा नहीं है। क्योंकि...

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जंतर-मंतर पर प्रदर्शन के लिए किसानों का दिल्ली आना शुरू, सिंघु और गाजीपुर बॉर्डर पर बढ़ाई गई सुरक्षा

दिप्रिंट, 22 अगस्त  दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन के लिए किसानों की आवाजाही शुरू हो गई है. दरअसल, बेरोजगारी के मुद्दे को लेकर किसान संगठन एसकेएम ने सोमवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन किए जाने का आह्वान किया था. इसके बाद सुरक्षा के मद्देनज़र दिल्ली पुलिस ने सिंघु बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी है. दिल्ली पुलिस ने राजधानी के पश्चिमोत्तर सीमा पर स्थित सिंघु बॉर्डर और...

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महाराष्ट्र: मराठवाडा में गहराया कृषि संकट, 8 महीने में 600 किसानों ने की आत्महत्या!

गाँव सवेरा, 20 अगस्त   आए दिन किसानों की आत्महत्या कि खबर पढ़ने और सुनने को मिलती है. तमाम प्रयासों और कोशिशों के बाद भी किसानों की आत्महत्या की सिलसिला नहीं रुक रहा है. 8 महीने में करीब 600 किसानों ने की आत्महत्या क्या मराठवाडा कृषि संकट का सामना कर रहा है. किसान संगठन में काम करने वाले कार्यकर्ताओं का मानना है कि मौसम की घटनाओं की बजाय किसानों की स्थिति...

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मीडिया की सुर्ख़ियों से गायब है अनाजों में बढ़ती 'महंगाई दर' की बात!

कुछ राज्यों में मानसून देरी से आया है इस कारण बोये गए चावल का इलाका पिछले वर्ष की तुलना में कम हुआ है. आंकड़ो में कहें तो 29 जुलाई,2022 तक 231.59 लाख हेक्टेयर रकबे में ही चावल बोये गए हैं जोकि पिछले वर्ष के इसी समय काल की तुलना में कम (267.05 लाख हेक्टेयर) है. बोये गए चावल के इलाके में आयी कमी सहित अन्य कारणों से अनाजों के दामों में महंगाई बढ़ने का डर...

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