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बिना खाद वाली फसलें तैयार करने की कोशिश

गेट्स फाउंडेशन अनुवांशिक रूप से संवर्धित यानी जेनेटिकली मॉडिफाइड अनाज की फसलों का विकास करने के लिए ब्रितानी शोधकर्ताओं की एक टीम को एक करोड़ डॉलर की सहायता देगा. अनुवांशिक संवर्धन के क्षेत्र में ये ब्रिटेन में सबसे बड़े एकमुश्त निवेशों में से एक है. इस राशि से होने वाले शोध में मक्का, गेहूं और चावल की ऐसी फसलें उगाने की कोशिश होगी जिनके लिए बहुत कम खाद की जरूरत होगी...

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यूपी में हॉर्टीकल्चर में 1000 करोड़ का निवेश

सूबे की औद्यानिक खेती केन्द्र सरकार से मिलने वाली 1000 करोड़ रुपए से लहलहाएगी। बस्ती में एशिया का सबसे बड़ा औद्यानिक खेती शोध केन्द्र बनेगा। देश के उच्च स्तरीय औधानिकी अनुसंधान से जुड़े वैज्ञानिक औद्यानिक खेती को बढ़ावा देने के लिए शोध करने यूपी आएंगे। यह बातें उद्यान निदेशालय में उद्यान मंत्री राज किशोर सिंह ने पत्रकारों से कही। उन्होंने कहा कि यूपी सरकार ने केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार को...

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हजारों भागीरथ बनाए कलेक्टर उमराव ने- पवन देवलिया की रिपोर्ट

भोपाल (एमपी मिरर)। एक भागीरथ को भारतीय इतिहास में इसलिए जाना जाता है कि वे गंगा को इस धरती पर लाए थे। इस पुण्य कार्य को सफल बनाने के लिए भागीरथ ने अपना सारा जीवन खपा दिया था। इस पुण्य कार्य को करने के बाद उनके साथ दो चीजें हमेशा के लिए जुड़ गईं। एक तो गंगा को धरती पर लाने के बाद उनका नाम गंगाजी के साथ हमेशा के लिए जुड़ गया। इसके...

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क्यों गायब हो रहे हैं छोटे किसान - सुभाष चंद्र कुशवाहा

आर्थिक उदारीकरण में खेती-किसानी को कहीं भी महत्व नहीं दिया जाता। लेकिन भारत में कृषि नीति के प्रति सरकार की लगातार उदासीनता इसलिए घातक है कि सेवा क्षेत्र के विकास के बावजूद कृषि क्षेत्र आज भी अर्थव्यवस्था की धुरी है। यह हताशाजनक ही है कि सरकार बजट-दर-बजट खेती-किसानी को घाटे का सौदा साबित करने पर तुली है। बाहरी दबावों और कॉरपोरेट हितों के लिए कृषि क्षेत्र को तबाह करने का...

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मिट्टी हमारा साथ छोड़ रही है -अनिल जोशी

जीवन के मूल संसाधनों को लेकर कही गई पुरानी कहावतें आज के परिप्रेक्ष्य में ज्यादा सही लगती हैं। मिट्टी भी उनमें से एक है। माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंदें मोय, इक दिन ऐसा आएगा मैं रौंदूगी तोय। यह दोहा आज सटीक बैठ रहा है। मिट्टी के मोल अब पुराने नहीं रहे। यह भी अन्य प्राकृतिक संसाधनों की तरह विलुप्त होती जा रही है। यह संकट बड़ा है, क्योंकि...

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