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जातियों की गिनती जारी करेगी मोदी सरकार!

राजनीतिक विवादों के बीच केंद्र सरकार जातिगत जनगणना के आंकड़े जारी करने को राजी हो गई है। मगर आंकड़े सार्वजनिक होने की समय सीमा को लेकर संशय अब भी बरकरार है। इस मामले पर सरकार ने स्पष्ट कहा है कि राज्यों से रिपोर्ट आने के बाद ही इसे एकत्रित कर सार्वजनिक किया जाएगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि उन्हें राज्यों से आने वाली रिपोर्ट का इंतजार है। केंद्र सरकार...

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कहां है सुधारों की अगली खेप-- रामचंद्र गुहा

सन 2009 के आम चुनाव के ठीक बाद मैंने बेंगलुरु में एक भाषण सुना, जो नई सरकार के लिए नीतियों के नए रोडमैप पर था। वक्ता थे राकेश मोहन, जो उद्योग व वित्त मंत्रालय में वरिष्ठ पदों पर रह चुके थे और उस वक्त रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर थे। राकेश मोहन का कहना था कि आर्थिक सुधारों की पहली लहर ने व्यापार को सरकारी नियंत्रण से बाहर निकाला और...

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राजनीतिक दलों की निजता और आरटीआई - हृदयनारायण दीक्षित

जनतंत्र में दलतंत्र महत्वपूर्ण उपकरण है। दलों की मान्यता और पंजीयन के विधि स्थापित नियम हैं। दलों के अपने घोषित कार्यक्रम, संविधान, संगठन पद व संकल्प हैं। दल मूलत: राजनीतिक जनसंगठन हैं। दल चुनावों में हिस्सा लेते हैं। संगठन तंत्र के माध्यम से अपने पक्ष में जनमत बनाते हैं। जनसमर्थक मनमाफिक दल को चलाने या चुनावी जीत दिलाने के लिए चंदा देते हैं। दल कार्य संचालन के लिए विभिन्न् स्तर...

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RTI के दायरे में लाने के मामले में केंद्र व EC सहित 6 पार्टियों को नोटिस

नई दिल्‍ली। राजनीतिक दलों को सूचना का अधिकार (आरटीआई) के दायरे में लाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार और चुनाव आयोग सहित मान्‍यता प्राप्‍त छह राष्‍ट्रीय पार्टियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एचएल दत्‍तू की अध्‍यक्षता वाली खंडपीठ ने एसो‍सिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए भाजपा, कांग्रेस, बसपा, एनसीपी, सीपीएम और सीपीआई...

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न्यूनतम सरकार अधिकतम शोषण- के सी त्यागी

श्रमिकों के शोषण का लंबा इतिहास रहा है। इसके विरुद्ध श्रमिकों ने समय-समय पर आवाज उठाई। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रम कानून बने। मजदूर संगठित हुए, उन्हें अधिकार मिले, स्वतंत्रता मिली, सामाजिक सुरक्षा का दायरा बढ़ा। इसका असर हमने भारत में भी देखा। लेकिन नई औद्योगिक नीति और उदारीकरण का दौर परवान चढ़ने के साथ ही श्रमिक फिर शोषण का शिकार हुए। उनका सामाजिक दायरा घटा, अधिकार सिकुड़ते चले गए। इसी...

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