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लॉकडाउन का असर: न महुआ और न बांस की टोकरी बेच पा रहे हैं कमार जनजाति के लोग

-डाउन टू अर्थ, देशभर में लॉकडाउन का असर सभी लोगों पर तो हुआ ही है लेकिन हमारे समाज का एक ऐसा वर्ग है जो पहले से हाशिये पर है उनके आजीविका पर इसका असर दिखाई देने लगा है। “तीन हफ्ते पहले हमारे यहाँ कोचिया आया था, और अब नहीं आ रहा है जिस से हमारे सुपा, टोकरी, टुकना कुछ भी बिक नहीं रहा है. हम तो अभी बनाना छोड़ दिए हैं” यह...

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खरपतवार के साथ प्राकृतिक खेती -बाबा मायाराम

मध्यप्रदेश के होशंगाबाद शहर से कुछ ही दूरी पर है टाइटस फार्म। होशंगाबाद भोपाल सड़क मार्ग पर नर्मदा नदी के तट पर स्थित इस इलाके में प्राकृतिक खेती होती है जोकि जमीन की जुताई किए बगैर की जाती है। इस इलाके में फसल के अवशेषों को जलाने के बजाय उससे भूमि ढकाव करते हैं, जिससे खेत में नमी रहती है और जल संचय होता है। उसमें पनपने वाले केंचुए और...

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नदीसूत्रः मुंबई की मीठी नदी का कड़वा वर्तमान और जहरीला भविष्य

-इंडिया टूडे हिंदी   मायानगरी मुंबई कुछ महीनों पहले सोशल मीडिया पर आरे के जंगल बचाने जाग गई थी. पर शहर के लोगों ने एक मरती हुई नदी पर कुछ खास ध्यान नहीं दिया. मुंबई ने एक नदी को मौत की नींद सोने पर मजबूर कर दिया है. नाम है मीठी, पर इसका भविष्य और वर्तमान दोनों कड़वा-कसैला है. खुद महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने माना है कि मीठी नदी में अवशिष्ट...

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जलवायु परिवर्तन: ऑस्ट्रेलिया में दावानल और एशिया में टिड्डियों का हमला

पिछले दिनों आस्ट्रेलिया में भीषण दावानल में जमीन झुलस गई. लोग और वन्यजीव मर गए. मकान जल कर राख हो गए. इस दावानल की तीव्रता और फैलाव से बिल्कुल साफ है कि इसका संबंध जलवायु परिवर्तन से है. दुनिया के इस हिस्से में हालांकि जंगल में आग लगना आम घटना है, लेकिन इन दावानलों की वजह गर्मी का बढ़ना था, जिस कारण भूगर्भ सूख गया और यह क्षेत्र विस्फोटक स्थिति...

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3000 नील गायों को मारेगी सरकार, पर किसानों ने निकाला बचाव का दूसरा तरीका

बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में 3000 से अधिक नील गायों को मारने की तैयारी स्थानीय प्रशासन द्वारा की गयी है। इसके लिए तमिलनाडु से शार्प शूटर को भी बुलाया गया है। नील गायों को मारने का यह अभियान 23 जनवरी से ही शुरू होना था, मगर शूटर असगर अली की तबीयत खराब होने की वजह से यह अभियान फिलहाल शुरू नहीं हो पाया है। हालांकि नील गायों की सामूहिक हत्या...

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