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पूरी दुनिया में बढ़ रही है विलय एवं अधिग्रहण की भूख

उम्मीद : नकदी से लबालब कंपनियों में बढ़ा है भरोसा, सेंटिमेंट में सुधार से इस साल हो सकते हैं ज्यादा सौदे स्थिरता से फायदा विश्लेषकों का कहना है कि कंपनियों का आत्मविश्वास बढ़ा है जिसकी वजह से इस साल वे पिछले साल के मुकाबले ज्यादा सौदे करने की क्षमता रखती हैं निवेशकों ने पिछले तीन-चार साल से धैर्य बनाए रखा है, लेकिन अब सौदे करने...

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संविधान लागू कीजिए गांव बन जायेंगे गणराज्य- राहुल सिंह

हमारा संविधान राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के गांव को स्वावलंबी व उन्हें एक स्वायत्त शासन इकाई बनाने के सपने के अनुरूप है. हमारे गांव ऐसे हों, जो अपने फैसले खुद लें और अपनी जरूरत की अधिक से अधिक चीजों का उत्पादन खुद करें. संविधान में ग्राम पंचायत को एक स्वायत्त शासन इकाई के रूप में स्थापित करने के लिए विधानमंडल को सभी जरूरी उपाय करने का कहा गया है. भारत के...

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चीनी मिलों को ब्याज मुक्त कर्ज देने के प्रस्ताव को मंजूरी

उद्योग को राहत-सरकार पर भार 3,000 करोड़ रुपये बकाया है मिलों पर किसानों का भुगतान 900 करोड़ रुपये उपलब्ध हैं शुगर डेवलपमेंट फंड में 6,600 करोड़ का ब्याज मुक्त ऋण मिलेगा चीनी उद्योग को 2,750 रुपये का कुल भार पड़ेगा इस रियायत के चलते 5 वर्ष में कर्ज की अदायगी करनी होगी चीनी मिलों को वित्तीय संकट से जूझ रहे उद्योग को राहत देने के लिए सरकार...

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लेबर की कमी होने से मजदूरी दो वर्षों में दोगुनी- शमशेर सिंह

रियल स्टेट डेवलपरों को नकदी के अभाव से भी बड़ी समस्या फिलहाल मजदूरों  की कमी लग रही है। मनरेगा की शुरुआत से यह संकट लगातार बढ़ता जा रहा है। मजदूरों की कमी के साथ ही इनकी मजदूरी में भी काफी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। आज हालात यह है कि मजदूरों की कमी प्रोजेक्ट में देरी की एक वजह बनती जा रही है।  मजदूरों की किल्लत के चलते उनकी मजदूरी...

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गन्ना किसानों का कसूर- हरवीर सिंह

उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों के लिए एक बार फिर 1996-97 पेराई सीजन का माहौल बन रहा है। वह पहला साल था, जब राज्य की निजी चीनी मिलों ने गन्ना किसानों को राज्य सरकार द्वारा तय किया जाने वाला राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) देने से मना कर दिया था। चालू पेराई सीजन में भी चीनी मिलों ने साफ कर दिया है कि वे किसानों को 240 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक...

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